वक़्त से मैंने पूछा-नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

वक़्त से मैंने पूछा      वक़्त से मैंने पूछाक्या थोड़ी देर तुम रुकोगे ?वक़्त ने मुस्करायाऔरप्रतिप्रश्न करते हुएक्या तुम मेरे साथ चलोगे?आगे बढ़ गया…। वक़्त रुकने के लिए विवश नहीं…

दिखा दे अपनी मानवता- शशिकला कठोलिया

दिखा दे अपनी मानवता लेकर कोई नहीं आया ,जीवन की अमरता ,क्षणभंगुर संसार में ,दिखा दे अपनी मानवता । देशकाल जाति पाति की ,दीवारों को तोड़कर ,छुआछूत ऊंच नीच की…

मैं हूं एक लेखनी-शशिकला कठोलिया

मैं हूं एक लेखनी मैं हूं एक लेखनी ,क्यों मुझे नहीं जानता ,निरादर किया जिसने ,जग में नहीं महानता।जिसने मुझे अपनाया ,हुआ वह बड़ा विद्वान ,जिसने किया आदर ,मिला यश…

वर्षा ऋतु पर कविता -हरीश पटेल

वर्षा ऋतु पर कविता आज धरा भी तप्त हुई है।हृदय से शोले निकल पड़े हैं।।कण-कण अब करे पुकार ।आ जाओ वर्षा एक बार।। प्यास अब उमड़ चुकी है ।जिंदगी को…

मन करता है कुछ लिखने को-अमित कुमार दवे

मन करता है कुछ लिखने को जब भी सत्य के समीप होता हूँ, असत्य को व्याप्त देखता हूँ ,शब्द जिह्वा पर ही रुक जाते हैं, मन करता है…..कुछ लिखने को ।। वाणी…
Jai Sri Ram kavitabahar

चित चोर राम पर कविता / रश्मि

चित चोर राम पर कविता / रश्मि ramji par hindi kavita चित चोर कहो , न कुछ और कहो। मर्यादा पूरूषोत्तम है । हे सखी !सभी जो मन भायेवो मनभावन अवध किशोर कहो। चित…

आत्महंता का अधिकार -आर आर साहू

आत्महंता का अधिकार जहाँ सत्य भाषण से पड़ जाता संकट में जीवन।वहाँ कठिन है कह पाना कवि की कविता का दर्शन।। गुरु सत्ता पे शासन की सत्ता जब होती हावी।वहाँ…

आर आर साहू-भावभरे दोहे

भावभरे दोहे प्रकृति प्रदत्त शरीर में,नर-नारी का द्वैत।प्रेमावस्था में सदा,है अस्तित्व अद्वैत।। पावन व्रत करते नहीं,कभी किसी को बाध्य।व्रत में आराधक वही, और वही आराध्य ।। परम्पराएँ भी वहाँ,हो जाती…

मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा-बाँके बिहारी बरबीगहीया

मेरा जीवन बना गुल्ली डंडा की परिभाषा सुबह सवेरे घर से भाग जाना पेड़ की टहनी से गुल्ली डंडा बनाना अमीरी -गरीबी ना छूत अछूत सबके निश्छल हृदय मिल के रहना खाना कितना सुख…