Author: कविता बहार

  • विश्व कविता दिवस/मंजूषा दुग्गल

    विश्व कविता दिवस/मंजूषा दुग्गल


    आओ विश्व कविता दिवस मनाएँ/मंजूषा दुग्गल

    विश्व कविता दिवस/मंजूषा दुग्गल

    मन के कोमल भावों को
    कोरे काग़ज़ पर सजाएँ
    प्रेम, इंतज़ार,ग़म के पलों को
    चला लेखनी लफ़्ज़ों में व्यक्त कर जाएँ
    नमन करें सभी काव्य साधकों को
    श्रद्धा में उनकी मस्तक झुकाएँ
    महादेवी सी सहनशीलता ले आएँ
    निराला के प्रकृति प्रेम में खो जाएँ
    दिनकर की राष्ट्र भक्ति से ओजपूर्ण हो
    जयशंकर की स्पष्टवादिता अपनाएँ
    राहे कदम पर इनके पग धरें हम
    स्नेह , प्रेम, वात्सल्य, जोश से भर जाएँ
    मस्ती के आलम से वंचित हैं जो जन
    बेरंग जीवन को काव्य से रंग जाएँ
    शिक्षा, ज्ञान , संस्कृति से सबको अवगत कराएँ
    आओ विश्व कविता दिवस हम मनाएँ।
    मंजूषा दुग्गल
    करनाल (हरियाणा)

  • कवि और कविता/सुशी सक्सेना

    कवि और कविता/सुशी सक्सेना

    कवि और कविता/ सुशी सक्सेना

    कवि और कविता/सुशी सक्सेना

    कवि देह है तो उसके प्रान है, कविता।
    कवियों के सपनों की जान है, कविता।

    भोर की पहली किरण सा कवि,
    तो उसका उजाला है, कविता,
    मस्त मतवाला मयनशीं कवि,
    उसकी मधुशाला है कविता।
    कवि धरा गगन सा तो,
    दोनों के मिलन का स्थान है, कविता।

    चंचल चपल हिरन सा कवि,
    कविता उसकी कस्तूरी है,
    एक दूसरे के बिना दोनों
    की जिंदगी अधूरी है।
    कवि परिंदा है तो उसके,
    परों की उड़ान है, कविता।

    कल कल करती ध्वनी है कविता,
    सरिता बन गया कवि,
    शाखाएं हैं कविता जिसकी,
    जड़ बन गया कवि।
    गहन सागर सा कवि, उसके,
    मन की लहरों की उफान है, कविता।

    सुशी सक्सेना इंदौर मध्यप्रदेश

  • विश्व कविता दिवस/डॉ0 रामबली मिश्र

    विश्व कविता दिवस/डॉ0 रामबली मिश्र

    विश्व कविता दिवस/डॉ0 रामबली मिश्र

    विश्व कविता दिवस/डॉ0 रामबली मिश्र

    प्रति पल कविता दिवस मनाता।
    हिन्दी में लिखना सिखलाता।।
    मन मन्दिर में ध्यान लगाता।
    सबको उत्तम राह दिखाता।।

    अंतर्मन के भाव गमकते।
    शब्दों के आह्लाद चहकते।।
    अर्थ बताते सत्य पंथ गह।
    स्नेह परस्पर का मतलब कह।।

    कविता लिख कर मन बहलाता।
    जीवन को खुशहाल बनाता।।
    लेखन ही सत्कर्म धर्म है।
    जीवन का य़ह शिष्ट मर्म है।।

    हिन्दी में जो कविता लिखता।
    अमर बना वह जग में रहता।।
    घर बैठे ही नाम कमाता।।
    अपने पर वह शोध कराता।।

    प्यारे!कविता दिवस मनाओ।
    सोते जग को नित्य जगाओ।।
    कविता लिखकर गाते रहना।
    जीवन पर्व मनाते चलना।।

    डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी उत्तर प्रदेश

  • पर्यावरण दिवस पर कविता /मंजूषा दुग्गल

    पर्यावरण दिवस पर कविता /मंजूषा दुग्गल

    पर्यावरण दिवस पर कविता/मंजूषा दुग्गल

    पर्यावरण दिवस पर कविता /मंजूषा दुग्गल

    जलाकर पेड़-पौधे वीरान धरती को बना रहे हैं 

    इतनी सुंदर सृष्टि का भयावह मंजर बना रहे हैं 

    काटकर जंगल पशु-पक्षियों को बेघर बना रहे हैं 

    कर बेइंतहा अत्याचार हम दिवस पर्यावरण मना रहे हैं ।

    वैज्ञानिक उन्नति की राह पर हम कदम बढ़ा रहे हैं

    चाँद पर भी अब देखो वर्चस्व अपना जमा रहे हैं 

    अपनी धरा का कर शोषण हम उपग्रहों पर जा रहे हैं 

    उपेक्षित कर भूमंडल अपना हम दिवस पर्यावरण मना रहे हैं ।

    हवाओं का रुख़ मोड़कर तूफ़ानों को हम बुला रहे हैं 

    प्रचंड गर्मी के वेग से जन -जन को देखो झुलसा रहे हैं

    नदी-नालों को गंदा कर भूमि प्रदूषण फैला रहे हैं

    प्रदूषित वातावरण बना दिवस पर्यावरण मना रहे हैं ।

    उपजाऊ भूमि को बना बंजर वृहत भवन हम बना रहे हैं 

    वृक्षों से धरा वंचित कर नक़ली पौधों से घर सजा रहे हैं 

    सुख-समृद्धि दिखाने को ढेर गाड़ियों का बढ़ा रहे हैं।

    खत्म कर हरियाली देखो हम दिवस पर्यावरण मना रहे हैं।

    मंजूषा दुग्गल 

    करनाल (हरियाणा)

  • पर्यावरण की रक्षा/कामरान

    पर्यावरण की रक्षा/कामरान

    पर्यावरण की रक्षा/कामरान

    hindi poem on earth

    दूषित है पूरा संसार
    आया मन में है विचार
    प्लास्टिक का करें बहिष्कार
    देखेगा अब पूरा संसार
    पेट्रोलियम का करे कम उपयोग
    बंद करें सारे उद्योग
    अपने नाम से एक पेड़ लगाओ
    जीवन में कुछ अच्छा कर जाओ
    हम करें पर्यावरण की रक्षा
    वह करेगा हमारी सुरक्षा
    आओ मिलकर पर्यावरण बचाएं
    जीवन को खुशहाल बनाएं।

          कामरान 
          स्कूल UPS बनकसही
          Class 8