आओ विश्व कविता दिवस मनाएँ/मंजूषा दुग्गल
मन के कोमल भावों को
कोरे काग़ज़ पर सजाएँ
प्रेम, इंतज़ार,ग़म के पलों को
चला लेखनी लफ़्ज़ों में व्यक्त कर जाएँ
नमन करें सभी काव्य साधकों को
श्रद्धा में उनकी मस्तक झुकाएँ
महादेवी सी सहनशीलता ले आएँ
निराला के प्रकृति प्रेम में खो जाएँ
दिनकर की राष्ट्र भक्ति से ओजपूर्ण हो
जयशंकर की स्पष्टवादिता अपनाएँ
राहे कदम पर इनके पग धरें हम
स्नेह , प्रेम, वात्सल्य, जोश से भर जाएँ
मस्ती के आलम से वंचित हैं जो जन
बेरंग जीवन को काव्य से रंग जाएँ
शिक्षा, ज्ञान , संस्कृति से सबको अवगत कराएँ
आओ विश्व कविता दिवस हम मनाएँ।
मंजूषा दुग्गल
करनाल (हरियाणा)