कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

चमचा गिरि नही करूंगा

चमचा गिरि नही करूंगा जो लिखुंगा सत्य लिखुंगाचमचा गिरी नही करूंगा।कवि हूं कविता लिखुंगाराजनेता से नहीं बिकुंगा।। चापलुसी चमचा गिरी तोकिसी कवि का धर्म नहीं।अत्याचार मै नहीं सहूंगा।जो लिखुंगा सत्य लिखुंगा । राज नेता से नहीं बिकुंगा ।कवि हूं मैं,…

गंगा की पुकार

गंगा की पुकार गंगा घलो रोवत हे,देख पापी अत्याचार।रिस्तेदारी नइये ठिकाना,बढ़गे ब्यभीचार।। कलयुग ऊपर दोष मढत हे,खुद करम में नहीं ठिकाना।कइसे करही का करही एमनओ नरक बर करही रवाना।। स्वार्थ के डगर अब भारी होगेअनर्थ होत हे प्यार।प्यार अंदर अब…

तृषित है मन सबका!

तृषित है मन सबका!***शंकर ने, विष पान किया,तब नील कण्ठ कहलाए,व्याघ्र चर्म का, वसन पहनकर,मंद मंद मुसकाए!विष धर को, गलहार बनाया, नंदी पीठ बिरजाए,चंद्र शीश पर रखकर, शिव जी,चंद्रमौली कहलाए!पर्वत पर आशियां बनाया, डमरू हाथ बजाए,कंद मूल खाकर ही जिसने,…

अंग्रेजी नव-वर्ष- अभिनंदन

अंग्रेजी नव-वर्ष- अभिनंदन कुण्डलिया 🚩१.🚩कहें तेईस अलविदा, स्वागत है नववर्ष|मंगल मोद मना रहे़ं , है प्रतीक्षा सहर्ष ||है प्रतीक्षा सहर्ष, स्वप्न चौबीस के सजे|हर्षित जनमन‌ आज, नूतन संवत् विराजे||विनय करे ‘गोपाल’ , खुशी बाँटते सब रहे़ं।अंग्रेजी वर्ष की ,शुभेच्छा भी…

नव वर्ष पर कविता

नव वर्ष आ गया नववर्ष,क्या संदेह,क्या संभावना है?शेष कुछ सुकुमार सपने,और भूखी भावना है। हैं विगत के घाव कुछ,जो और गहरे हो रहे हैं,बात चिकनी और चुपड़ी,सभ्यता या यातना है! ओढ़कर बाजार को,घर घुट रहा है लुट रहा है,ग्लानि की…