Author: कविता बहार

  • रफ़्ता-रफ़्ता मेरे पास आने लगे

    रफ़्ता-रफ़्ता मेरे पास आने लगे

    रफ़्ता-रफ़्ता मेरे पास आने लगे
    हर कहीं हम यहाँ गुनगुनाने लगे
    प्यार की अधखुली खिड़कियों की डगर
    एक दूजे में हम सामने लगे.
    इस जनम के ये बन्धन गहराने लगे
    दूर रहकर भी वो मुस्कुराने लगे
    ग़म यहाँ कम मिलेगा हमारे सिवा
    दर्द की छाँव भी अब सुहाने लगे.
    रिश्तों की कसौटी पे आने लगे
    वो हमें हम उन्हें अपनाने लगे
    मैने उनसे न जाने क्या कह दिया
    ख़्वाब मेरे उन्हें रास आने लगे.
    हरकदम हमकदम वो दीवाने लगे
    तिश्नगी अपनी मुझसे बुझाने लगे
    इश्क़ ने उनपे जादू ऐसा किया
    मुझको अपना वो रब अब बताने लगे.
    गीत मेरे उन्हें अब लुभाने लगे
    लब हिले उनके वो गुनगुनाने लगे
    ज़िन्दगी ने हमें ऐसा तोहफ़ा दिया
    प्यार में है ख़ुदा सब बताने लगे.

    राजेश पाण्डेय अब्र
        अम्बिकापुर

  • फिर बोलें भारत माँ की जय

    फिर बोलें भारत माँ की जय

    फिर बोलें भारत माँ की जय

    mera bharat mahan

    हिमाच्छादित उत्तुंग शिखर
    भारत माँ के प्रहरी हैं प्रखर।
    देखी जब माँ की क्लांत दशा
    पूछा, माँ क्या है तेरी व्यथा ?
    क्यों हृदय तुम्हारा व्याकुल है
    क्यों भरे नयन, कुछ बोलो तो !


    क्या बोलूँ , मेरी आँखों से
    ये अश्रु कहाँ अब थमते हैं।
    ममता का समंदर सूख गया
    जब देखी इनकी दानवता।
    क्या सपने देखे थे मैंने
    क्या आज हक़ीक़त पाती हूँँ।
    बेटों को मैंने जन्म दिया
    लगता है, मैं ही पापिन हूँ।
    थे जिसकी माटी में खेले
    बीता जिनका सारा बचपन।


    उस माँ की ममता भूल गये
    खो गया कहाँ, वो अपनापन ?
    निज जाति-धर्म के झगड़ों में
    दिन-रात ये लड़ते रहते हैं।
    है मन में इनके ज़हर भरा
    मानव, मानव का बना दुश्मन !
    इनसे तो भले थे वे बेटे
    जो मान हमारा रखते थे।
    खाते थे सीने पर गोली
    पर पीठ न खंजर करते थे।
    घर – महल बना ऊँचे-ऊँचे
    मेरी धरती को पाट दिया।
    फैक्ट्रियाँ उगा ली खेतों में
    धुएँ ने हवा को लील लिया ?


    है नीति कहाँ, है तंत्र कहाँ ?
    पर कहते प्रजा का राज यहाँ।
    सत्ता है सबके निशाने पर
    जनता पूछे , जनतंत्र कहाँ ?
    माँ – बेटी कहाँ सुरक्षित हैं
    देखो, इंसानी – सड़कों पर ?
    कुचली जातींं कोमल कलियाँ
    है सृष्टि ही अब तो निशाने पर।
    बोलो उनसे,  वे मानव हैं
    दानवता का वे त्याग करें।
    रग – रग में भर लें मानवता
    फिर बोलें भारत माँ की जय

    • विजयानंद विजय
      आनंद निकेत
      बाजार समिति रोड
      पो. – गजाधरगंज
      बक्सर (बिहार ) – 802103
      मो. – 9934267166
  • हिन्द देश के अंबर पर

    हिन्द देश के अंबर पर

    हिन्द देश के अंबर पर नव सज्जित आज विहान है

    mahapurush

    हिन्द देश के अंबर पर
    नव सज्जित आज विहान है
    हर्षित हो लहराए तिरंगा
    देशप्रेम में डूबा देश जहान है।


    आजादी के दीवानों ने
    संविधान निर्माण की ठानी थी
    ऊँच नीच का भेद नहीं था
    उन्मुक्त लहू में रवानी थी।


    संविधान निर्माताओं का श्रम
    गणतंत्र लागू हुआ था आज
    पूर्ण स्वराज तो हासिल था
    बस संविधान का था आगा़ज ।


    बुद्धिजीव सुत अंबेडकर ने
    संविधान को नव प्राण दिए
    स्वाधीन देश के वासियों को
    अधिकार कर्तव्य नवगान दिए।

    प्रजातंत्र और संप्रभुता से
    ओतप्रोत था यह संविधान
    विश्व का विशाल गणतंत्र यह
    स्वतंत्रता समानता का था ये विधान ।


    राजधानी के राजपथ पर
    गणतंत्र दिवस था आज मनाया
    नव परिधान बसंती रंग
    इंडिया गेट पर ध्वज संग छाया।


    परेड झांकियों रंगारंग ने
    आज़ादी का मान बढ़ाया
    भारत माँ की प्रतिष्ठा में
    हमने प्रतिवर्ष गणतंत्र मनाया।

    हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई का
    बहुधर्मी यह देश है
    धर्मनिरपेक्षता की मिसाल है
    सार्वभौम महिमा सविशेष है।


    कुसुम लता पुंडोरा
    आर.के.पुरम
    नई दिल्ली
    मोबाइल-९९६८००२६२९

  • भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं

    भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं

    भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं

    mera bharat mahan

    मिलकर आओ जग में हम सब,
                        भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।….
    माँ भारती के सब भारतवासी ,
                         सदा सदा गुण गाते हैं।।
    जब आजादी की अलख जगी,
                       वीरों ने प्राण गवाये थे।
    यह मातृभूमि की रक्षा को,
                      वे बलिदानी कहलाये थे।।
    पावन गणतंत्र यह अपना,
                     कर्तव्यों को भी निभाते हैं।…….
    भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं…भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं ….


    मिलकर आओ जग में हम सब,
                        भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।…
    शीश हिमालय मुकुट बना,
                    सागर भी पाँव पखारे हैं।
    कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
                   सुशोभित प्रांत ये प्यारे हैं।।
    यह सर्व धर्म का राष्ट्र सदा,
                   हम पुष्प सभी एक उपवन में।
    यहाँ एकता का दीप जले,
                  सदा हम सब के ही तन मन में।।
    हम अपने राष्ट्र की रक्षा को,
                 अब एकता जग को दिखाते हैं।…
    भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं…भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं ….


    मिलकर आओ जग में हम सब,
                        भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।
    सजी सुंदर धरा खलिहानों से,
                   पावन सरिता की धारा है।
    परंपराओं का नित नित संगम,
                   सभ्यता को भी सवाँरा है।।
    मातृभूमि की सेवा हम करते,
                   सदा तिरंगे का मान बढ़े।
    रक्षा भारत भूमि की होवे तब,
                 जन जन का सम्मान बढ़े।।
    मातृभूमि की चरण धूलि हम,
                सदा ही शीश लगाते हैं।
    भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं…भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं ….


    मिलकर आओ जग में हम सब,
                        भारत को श्रेष्ठ बनाते हैं।…

    भुवन बिष्ट
    रानीखेत जिला -अल्मोड़ा, (उत्तराखंड)
    मो=08650732824

  • आजादी की लड़ाई में महिला

    आजादी की लड़ाई में महिला

    आओ आज बखान करें
    उन विशेष महिलाओं की
    आजादी की लड़ाई में जिसनें
    सर्वस्व किया अपना अर्पित
    आओ आज•••••••••••••!

    हिन्दी जगत की ऐसी कवयित्री
    सुभद्रा कुमारी चौहान है
    जिनकी कंठ की पुकार सुन
    प्रेरणा मिली देश के लिए मिटने की
    आओ आज•••••••••••••!

    अब हम बात करें सरोजिनी नायडू की
    जिन्हें उपाधि मिली भारत कोकिला की
    तेरह वर्ष की उम्र में रचा जिन्होंने
    कविता लेडी आँफ दी लेक
    आओ आज•••••••••••••!

    सेनानी अरूणा आसफ अली
    याद किया जाता है उनको
    भारत छोड़ो आंदोलन में
    जाकर झंडा फहराने के लिए
    आओ आज•••••••••••••!

    बात करें अहिल्या बाई की
    कार्यक्षेत्र सीमित होकर भी
    काम किया आश्चर्य जनक
    झूठे मोह त्याग किया न्याय
    आओ आज•••••••••••••!

    अवंती बाई की महत्वपूर्ण भूमिका
    प्रथम स्वाधीनता संग्राम में
    1857 की क्रान्ति में थी
    मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार
    आओ आज•••••••••••••!

    रानी झांसी वाली वो
    दुर्गा बन कूद पड़ी
    आजादी अलख जगा,
    शमशीर उठा लिया
    आओ आज •••••••••••••!

    सुचेता कृपलानी थी
    भारतीय स्वतंत्रता सेनानी
    गौरव इनको मिला बनने को
    भारतीय प्रथम महिला मुख्यमंत्री
    आओ आज•••••••••••••!

    अनिता मंदिलवार सपना
    अंबिकापुर सरगुजा छतीसगढ़