Author: कविता बहार

  • नमन आपको बापू नमन हैैं बारम्बार

    नमन आपको बापू नमन हैैं बारम्बार

    नमन आपको बापू नमन हैैं बारम्बार

    mahatma gandhi

    नमन आपको बापू,  नमन हैैं बारम्बार।
    सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया,  अत्याचार के आप प्रतिकार।।


    खादी को किया था आपने प्यार, स्वदेशी अपनाया।
    सत्य, अहिंसा के हथियार से गौरों को खूब छकाया।।
    आजादी के परवाने थे,सत्याग्रह के आप रहे प्रतीक।
    नमक छोडो आंदोलन की भी चले आप लीक।।


    साबरमती आश्रम में जीवन गुजारा,पोरबंदर के पूत ।
    सादा खाया,सादा पीया, हाथों जिन्होंने काता था सूत।।
    सुभाष चंद्र बोस ने राष्ट्र पिता नाम से संबोधित किया।
    आजादी के नायक गांधी, आजादी के लिए ही जो जिया।।


    भेदभाव सारे मिटा दिये,  अस्पृश्यता मिटा डाली ।
    विदेशी कपडों की होली तक जला डाली।।
    उपवास रखे,गये अनेक बार जेल की सजा काटी थी।
    सत्य, अहिंसा के दूत गांधी,धन्य हो गई भारत की ये मााटी थी।।

    सेवा करना था काम उनका,  स्वच्छता को जिन्होंने बल दिया।
    अहिंसा के बल पर अंग्रेजों से लोहा लिया।।
    शहीद दिवस पर आओं हम सब मिलकर कर लें बापू को प्रणाम।
    राजघाट पर बनी समाधि, ढलने न पाये इस दिवस की शाम।।

    सीधा साधा ,आंंखों पर चश्मा ताने ।
    याद आते रहेेंंगे आजादी के गांधी से सच्चे परवाने।।
    जय जय भारत की अमर भूमि, तुझ पर जन्मे वीर अनेक।
    गांधी जी इतिहास में अमर रहेेंगे, युवा पीढ़ी तू भी जरा देख।।

    धार्विक नमन, “शौर्य”,असम,  9828108858

  • परिवार की शान होती है बेटियां

    परिवार की शान होती है बेटियां

    माँ के रूप में ममता हैं बेटियां,
    ओस की बूंद सी होती है बेटियां,
    पिता की ताकत होती है बेटियां,
    परिवार की शान होती है बेटियां ।


    स्वभाव से शर्मिली होती है बेटियां
    कक्षाओ में प्रथम आती है बेटियां
    परिवार को जोडे रखती है बेटियां
    भाई की कलाई की शान है बेटियां


    देश की धरोहर होती है बेटियां
    ओलम्पिक में पदक दिलाती है बेटियां
    आईएएस परीक्षाओ में भी अब्बल आती है बेटियां
    एवरेस्ट की शिखर पर चढ जाती है  बेटियां


    रोशन करेगा बेटा तो एक  ही कुल को,
    दो- दो कुल की  लाज होती है बेटियां,
    कोई नहीं है एक दूसरे से कम,
    हीरा यदि है बेटा तो मोती होती है बेटियां ।।

    कालिका प्रसाद सेमवाल

  • मोम की गुड़िया-बेटियां

    मोम की गुड़िया-बेटियां

    मोम की गुड़िया सी कोमल होती है बेटियां
    माता पिता के दुलार में पलती है बेटियां
    अनजान घर की बहू बनती तब भी बेटी का ही रूप होती है बेटियां
    खुदा की सौगात ,जमा पूंजी का ब्याज सी होती है बेटियां


    दिन का चैन और रातों की नीद भी उड जाती है
    जब जवान हो जाती है बेटियां
    सन्तति तो अपनी, फिर भी पराया धन होती है बेटियां
    रोते है मात पिता जब डोली में बैठती है बेटियां


    क्यों रोते है लोग ,जब जन्म लेती है बेटियां
    बीज ही नहीं बचेगा,तो फसल कहां से काटोगे
    न जन्मी बेटियां तो,कन्यादान का धर्म कैसे निभाओगे
    नवरात्र में कन्या पूजन के लिये कहां से लाओगे बेटियां


    ईश्वरीय वरदान और सृष्टि की मूल होती है बेटियां
    दिल कभी न दुखाना, फूल सी कोमल होती है बेटियां
    मात पिता की परेशानी को जब भी सुनती है बेटियां
    सेवा भाव के लिये दौड़ी दौड़ी चली आती है बेटियां


    मात पिता के हृदय का टुकड़ा होती है बेटियां
    दो घरों का नाम रोशन करती है बेटियां
    बेटियाें का सुख भी वही कर पाते है
    जिनके घरों में पैदा होती है प्यारी सुन्दर बेटियां ।।

    कालिका  प्रसाद  सेमवाल

  • सरस्वती -वन्दना

    सरस्वती -वन्दना

    जनप्रिय माँ जनोपकारणी
    जग जननी, जल जीवधारणी।
    स्वर्णिम ,श्वेत, धवल साडी़ में
    चंचल, चपल,चकोर चक्षुचारणी।


    ज्ञानवान सारा जग करती माँ
    अंधकार, अज्ञान सदैव हारणी
    विद्या से करती,जग जगमग
    गुह्यज्ञान,गेय,गीत,  गायनी।


    सर्व सुसज्जित श्रेष्ठ साधना सुन्दर
    हर्षित, हंस-वाहिनी,वीणा वादिनी
    कर कृपा,करूणा, कृपाल,कब कैसे,
    पल में हीरक—रूप– प्रदायिनी।


    मूर्त ममतामय,ममगात मालती,
    जब भटके,तम में माँ तुम्ही संवारिणी,
    कितने कठिन, कष्ट कलुषित झेले माँ,
    मार्ग प्रकाशित करदे माँ,मोक्षदायिनी।


    जनप्रिय माँ जनोपकारणी
    जग जननी, जल जीवधारणी। ।

    कालिका प्रसाद सेमवाल
    मानस सदन अपर बाजार रुद्रप्रयाग (उत्तराखण्ड)

  • जिन्दगी पर कविता

    जिन्दगी पर कविता

    जिन्दगी है,  ऐसी कली।
    जो बीच काँटों के पली।
    पल्लवों संग झूल झूले,
    महकी सुमन बनके खिली।


    जिन्दगी  राहें अनजानी।
    किसकी रही ये पहचानी।
    कहीं राजपथ,पुष्पसज्जित,
    कहीं पगडण्डियाँ पुरानी।


    जिन्दगी सुख का सागर ।
    जिन्दगी नेह की गागर।
    किसी की आँखों का नूर ,
    धन्य विश्वास को पाकर।


    जब डगमगाती जिन्दगी।
    गमगीन होती जिन्दगी ।
    मिले  हौंसलों के पंख तब
    नभ में उड़ती है जिन्दगी।

    जिन्दगी एक अहसास है
    भटकी हुई सी प्यास है।
    जिन्दगी भूले सुरों  का ,
    अनुपम सुरीला राग है


    कर्म पथ से  ही गुजरती।
    मंजिलें मुश्किल से मिलती।
    जिन्दगी अमानत ईश की
    डोर इशारे उसके चलती । 

    पुष्पा शर्मा “कुसुम”