अन्धविश्वास पर कविता

अन्धविश्वास पर कविता तंत्र मंत्र के चक्कर की खबरे खूब आती हैअन्धविश्वास में अक्सर जानें ही जाती है। सुन लो घटना हुआ जो कोरबा रामकक्षार हैअंधभक्त पुत्र ने कर दिया खुद माँ पर वार हैभ्रम जाल में फंसकर अपनी माँ को गंवा लियालहू भी पीया उसने माँ का मांस भी खा लिया पड़ा रहा मति … Read more

कोशिश क्यों नही करता अपना घर बसाने को

कोशिश क्यों नही करता अपना घर बसाने को ऐ पाक़!तू क्यों तना है अपना घर जलाने को। कोशिश क्यों नही करता अपना घर बसाने को।। तुम्हारे तमाम ज़ुल्मों को सीनें से लगाते रहे। पर गुस्सा क्यों दिलाता है हथियार उठाने को।। पंछी की तरह तो तुझे हम आज़ाद कर दिये थे। फिर क्यों चाहता है … Read more

संगम नगरी प्रयागराज

संगम नगरी प्रयागराज संक्रांति के पावन दिवस परचलो आज हम कुंभ नहालेंप्रयागराज के संगम तट परमाँ गंगे का भव्यदर्शन पा लें।।     भव्य दिख रही संगम नगरी     भाँति- भाँति के लोग हजार     शाही स्नान करने को पहले     देखो नागा की लगी कतार।।साधु संतकी भीड़ है उमड़ीनागा, जूना,जंघम, किम्बरडुबकी लगाकर इस संगम मेंजीवन बनाते हैं पुण्योज्वल।।     दादा, … Read more

किरीट सवैया पर कविता

किरीट सवैया पर कविता भारत भव्य विचार सदा शुभ, भारत सद् व्यवहार सदा शुभभारत मंगल कारक है नित, भारत ही हित कारक है शुभ।भारत दिव्य प्रकाश सदा शुभ, भारत कर्म प्रधान सदा शुभ।भारत भावन भूमि महा शुचि, भारत पावन धार सदा शुभ। पुष्पाशर्मा”कुसुम”

समर शेष है रुको नहीं

समर शेष है रुको नहीं समर शेष है रुको नहींअब करो जीत की तैयारीआने वाले भारत कीबाधाएँ होंगी खंडित सारी ,राजद्रोह की बात करे जोउसे मसल कर रख देनादेशभक्ति का हो मशाल जोउसे शीश पर धर लेना,रुको नहीं तुम झुको नहीं अब मानवता की है बारीसुस्त पड़े सब शीर्ष पहरुएजनमानस दण्डित सारी,कालचक्र जो दिखलाए तुमउसे … Read more