नशा नर्क का द्वार है – बाबूराम सिंह

हिंदी कविता - नशा नर्क का द्वार है मानव आहार के विरूध्द मांसाहार सुरा,बिडी़ ,सिगरेट, सुर्ती नशा सब बेकार है।नहीं प्राणवान है महान मानव योनि में वो,जिसको लोभ ,काम,कृपणता से…

प्रात: वन्दन – हरीश बिष्ट

जन-जन  की रक्षा है  करती |भक्तजनों  के दुख भी हरती ||ऊँचे   पर्वत   माँ   का   डेरा |माँ   करती   है  वहीं  बसेरा ||भक्त   पुकारे   दौड़ी   आती |दुष्टजनों   को   धूल  चटाती ||भक्तों   की…

जय जय हनुमान पर कविता हिंदी में – बाबूराम सिंह

जय जय हनुमान पर कविता हिंदी हनुमान जी पर कविता जय भक्त शिरोमणि शरणागत जय हो कृपानिधान।जयबजरंगी रामदूत जय पवनपुत्र जय जय हनुमान।।जय आनंद कंदन केशरी नंदन जग वंदन शुभकारी।जय…

साक्षरता अभियान – बाबूराम सिंह

कविता संग्रह विश्व साक्षरता दिवस की हार्दिक मंगल शुभ कामनायें साक्षरता अभियान -----------------------------साक्षरता अभियान चलायें,घर-घर अलख जगायें। जन-जन साक्षर भव्य बनायें,ज्ञान ज्योति फैलायें।बिना विद्या नर बैल समाना ,कहता है जग…

गणपति बाबा

गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष…

श्री राधा अष्टमी पर हिंदी कविता

श्री राधा अष्टमी पर हिंदी कविता सनातन धर्म में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि श्री राधाष्टमी के नाम से प्रसिद्ध है। शास्त्रों में इस तिथि को श्री राधाजी का प्राकट्य दिवस माना गया है। श्री राधाजी…

शबा राव की कवितायेँ

शबा राव की कवितायेँ कविता संग्रह आज की बात मैं घर से निकली पढ़ाई के लिए,बस अड्डे पर बस का इंतजार करते रहे,कुछ देर बाद बस आ गई,मैं और बाकी…

गणेश जी की प्रतिमा – एस के नीरज

गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष…

आखिर क्यों? – सृष्टि कुमारी

आखिर क्यों?क्यों बना दिया मुझे पराया? क्यों कर दिया आपने मेरा दान?एक बेटी पूछ रही पिता से,क्या मेरी नहीं कोई अपनी पहचान?बेटों के आने पर खुशियां मनाते हो,फिर बेटी के…

हे गणनायक – विनोद कुमार चौहान

गणपति हे गणनायक (सार छंद) हे गणनायक हे लम्बोदर, गजमुख गौरी नंदन।लोपोन्मुख थाली से होते, अक्षत-रोली-चंदन।।हे शशिवर्णम शुभगुणकानन, छाई है लाचारी।बढ़ती मँहगाई से अब तो, हारी जनता सारी।।हे यज्ञकाय हे…