आया है मधुमास
*भँवरे गुंजन कर रहे, आया है मधुमास।*
*उपवन की शोभा बनें, टेसू और पलाश।*
*टेसू और पलाश, संग में चंपा बेला।*
*गेंदा और गुलाब, सजा रंगों का मेला।*
*फुलवारी अरु बाग, बसंती रँग में सँवरे।*
*पी कर नव मकरंद, गुँजाते बगिया भँवरे।।1*
*पी कर जब मकरंद को, भ्रमर बैठते फूल।*
*वह पराग को छोड़ते, मौसम के अनुकूल।*
*मौसम के अनुकूल, खिलाते पुष्प रँगीले।*
*भाँति-भाँति के फूल, सजाते बाग सजीले।*
*बढ़ता मन अनुराग, खुशी मिलती है जी कर।*
*मन से हटा विषाद, छटा नैनों से पी कर।।2*
*प्रवीण त्रिपाठी, नई दिल्ली, 07 फरवरी 2019*