Category विविध छंदबद्ध काव्य

भारतीय वायु सेना के सम्मान में कविता

भारतीय वायु सेना के सम्मान में कविता भारतीय वायु सेना के जवानों के,सम्मान में सादर समर्पित छंद,. (३०मात्रिक (ताटंक) मुक्तक) मेरे उड़ते…… ….. बाजों काचिड़ीमार मत काँव काँव कर,काले काग रिवाजों के।वरना हत्थे चढ़ जाएगा,मेरे उड़ते बाज़ों के।बुज़दिल दहशतगर्दो सुनलो,देख…

जीत मनुज की

जीत मनुज की . (१६,१६) काल चाल कितनी भी खेले,आखिर होगी जीत मनुज कीइतिहास लिखित पन्ने पलटो,हार हुई है सदा दनुज की।। विश्व पटल पर काल चक्र ने,वक्र तेग जब भी दिखलाया।प्रति उत्तर में तब तब मानव,और निखर नव उर्जा…

मातृभूमि वंदना

ताटंक छंदविधान- १६,१४ मात्रा प्रति चरणचार चरण दो दो चरण समतुकांतचरणांत मगण (२२२) मातृभूमि वंदना वंदन करलो मातृभूमि को,पदवंदन निज माता का।दैव देश का कर अभिनंदन,वंदन जीवन दाता का।सैनिक हित जय जवान कहें हम,नमन शहीद, सुमाता को।जयकिसान हम कहे साथियों,अपने…

मृत्युभोज पर कविता

मृत्युभोज पर कविता मृत्युभोज(16,14)जीवन भर अपनो के हित में,मित हर दिन चित रोग करे।कष्ट सहे,दुख भोगे,पीड़ा ,हानि लाभ,के योग करे,जरा,जरापन सार नहीं,अबबाद मृत्यु के भोज करे। बालपने में मात पिता प्रिय,निर्भर थे प्यारे लगते।युवा अवस्था आए तब तक,बिना पंख उड़ते…

श्रम श्वेद- बाबूलाल शर्मा (ताटंक छंद)

ताटंक छंद ~विधान :- १६, १४ मात्राभारदो दो चरण ~ समतुकांत,चार चरण का ~ छंदतुकांत में गुरु गुरु गुरु,२२२ हो। श्रम श्वेद- बाबूलाल शर्मा (ताटंक छंद) बने नींव की ईंट श्रमी जो,गिरा श्वेद मीनारों में।स्वप्न अश्रु मिलकर गारे में।चुने गये…

नमन करूँ मैं- बाबूलाल शर्मा

नमन करूँ मैं- बाबूलाल शर्मा नमन. ( 16,14) नमन करूँ मैं निज जननी को,जिसने जीवन दान दिया।वंदन करूँ जनक को जिसनेजीवन का अरमान दिया। नमन करूँ भ्राता भगिनी सब ,संगत रख कर स्नेह दिया।गुरु को नमन दैव से पहलेवाचन लेखन…

बातें पिता पद की- बाबूलाल शर्मा

बातें पिता पद की- बाबूलाल शर्मा सजीवन प्राण देता है,सहारा गेह का होते।कहें कैसे विधाता है,पिताजी कम नहीं होते। मिले बल ताप ऊर्जा भी,सृजन पोषण सभी करता।नहीं बातें दिवाकर की,पिता भी कम नही तपता। मिले चहुँओर से रक्षा,करे हिम ताप…

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सरसी छंद विधान / बीत बसंत होलिका आई/ बाबू लाल शर्मा

सरसी छंद का विधान निम्नलिखित है: उदाहरण के रूप में: सरसी छंद विधान / बीत बसंत होलिका आई/ बाबू लाल शर्मा बीत बसंत होलिका आई,अब तो आजा मीत।फाग रमेंगें रंग बिखरते,मिल गा लेंगे गीत। खेत फसल सब हुए सुनहरी,कोयल गाये…

सार छंद विधान -ऋतु बसंत लाई पछुआई

सार छंद विधान -ऋतु बसंत लाई पछुआई सार छंद विधान- (१६,१२ मात्राएँ), चरणांत मे गुरु गुरु, ( २२,२११,११२,या ११११) ऋतु बसंत लाई पछुआई,बीत रही शीतलता।पतझड़ आए कुहुके,कोयल,विरहा मानस जलता। नव कोंपल नवकली खिली है,भृंगों का आकर्षण।तितली मधु मक्खी रस चूषक,करते…

दीप शिखा- ( ताटंक छंद विधान )

दीप शिखा- ( ताटंक छंद विधान ) सुनो बेटियों जीना है तो,शान सहित,मरना सीखो।चाहे, दीपशिखा बन जाओ,समय चाल पढ़ना सीखो। रानी लक्ष्मी दीप शिखा थी,तब वह राज फिरंगी था।दुश्मन पर भारी पड़ती पर,देशी राज दुरंगी था।१.बहा पसीना उन गोरों को,कुछ…