शिक्षक पर कविता

भारत के गुरुकुल, परम्परा के प्रति समर्पित रहे हैं। वशिष्ठ, संदीपनि, धौम्य आदि के गुरुकुलों से राम, कृष्ण, सुदामा जैसे शिष्य देश को मिले। डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप … Read more

श्रमिक-विकास की बुनियाद पर कविता

श्रमिक-विकास की बुनियाद पर कविता सूरज की पहली किरण से काम पर लग जाता हूँ।ढलते सूरज की किरणों संग वापस घर को आता हूँ।अपने घर परिवार के लिए,शरीर की चिंता छोड़ मैं।हवा,पानी,धूप,छांह को हँसकर सह जाता हूँ।।1।। नव निर्माण,नव विहान की शुरुआत हूँ मैं।देश के विकास की पहली ईंट बुनियाद हूँ मैं।सोचता हूँ गढ़ रहा … Read more

ग्रहों पर कविता

ग्रहों पर कविता तुम जो हो जैसे होउतना ही होना तुम्हारे लिए पर्याप्त नहीं लग रहा हैं तुम जो भी हो उसमें और ‘होने’ के लिएकुछ लोगों को और भी जोड़ना चाहते होबहुत सारे या अनगिनत व्यक्तियों को अपने व्यक्तित्व में लाना चाहते होताकि तुम अपने को साबित कर सकोइस फेर में असंख्य व्यक्तियों से … Read more

गरीबी पर कविता (17 अक्टूबर गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर कविता )

गरीबी पर कविता गरीबी तू इतना रूलाया न कर हमेंजो मर गये तो, कहाँ पे तेरा आसरा है?मज़ाक उड़ाया सबके सामने कुछ यूँवाह भाई! अमीरों सा तेरा भी नखरा है? ?मनीभाई नवरत्न छत्तीसगढ़

निर्भया न्याय दिवस पर कविता

निर्भया न्याय दिवस पर कविता सन् दो हजार बीस,बीस मार्च रहा अनुपम।स्वर्णिम दिन है आज,शांत मन तन है शुद्धम।हुई न्याय की जीत,निर्भया तेरी जय हो।दुराचार का अंत,सजा देना अब तय हो।सात साल के बाद में,फाँसी में झूले सभी।अब हो नहीं समाज में, फिर ऐसी घटना कभी। सुकमोती चौहान रुचिबिछिया ,महासमुन्द,छ.ग.