रक्षाबंधन पर कविता

रक्षा बन्धन एक महत्वपूर्ण पर्व है। श्रावण पूर्णिमा के दिन बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र बांधती हैं। यह ‘रक्षासूत्र’ मात्र धागे का एक टुकड़ा नहीं होता है, बल्कि इसकी महिमा अपरम्पार होती है।

कहा जाता है कि एक बार युधिष्ठिर ने सांसारिक संकटों से मुक्ति के लिये भगवान कृष्ण से उपाय पूछा तो कृष्ण ने उन्हें इंद्र और इंद्राणी की कथा सुनायी। कथा यह है कि लगातार राक्षसों से हारने के बाद इंद्र को अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो गया। तब इंद्राणी ने श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन विधिपूर्वक तैयार रक्षाकवच को इंद्र के दाहिने हाथ में बांध दिया। इस रक्षाकवच में इतना अधिक प्रताप था कि इंद्र युद्ध में विजयी हुए। तब से इस पर्व को मनाने की प्रथा चल पड़ी।

रक्षाबंधन पर कविता

आया जी आया रक्षा बंधन का त्यौहार ,
भाई – बहनों का का प्यार का त्यौहार ,
जीवन के जन्मों-जन्मों का साथ देती ,
बहना भाई के जीवन को रक्षा करती ,

संसार के हर दुखों से भाई की भलाई करती ,
जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन की रक्षा करती हैं ,
हर संकट मे हौसला बढ़ाती भाई को ,
प्यार दुलार भाई पर लुटाती हमेशा ,

जीने की हजारों-हजार साल तक कामना करती ,
भाई की हर दुखों को हर लेती ,
उनकीं सुखी रहने की कामना करती ,
अपना अमृत सागर सुख चैन लुटाती ,

बहना भाई की एक शान होती है ,
जीवन मे हर परिस्थियों से भाई को बचाती है ,
ममता की चादर ओढाती है ,
ममता की मूरत से सजाती है !

  • रुपेश कुमार
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