Category: हिंदी कविता

  • छत्तीसगढ़ परिचय (दोहा छंद )/ वेदकांति रात्रे “देविका”

    छत्तीसगढ़ परिचय (दोहा छंद )/ वेदकांति रात्रे “देविका”

    छत्तीसगढ़ कविता
    छत्तीसगढ़ कविता

    छत्तीसगढ़ परिचय (दोहा छंद )

    नामकरण पर राज्य के, मत हैं विविध प्रकार।
    चेदिसगढ़ था नाम शुभ , हीरा के अनुसार।।

    रहते थे छत्तीस कुल , जरासंध के काल ।
    नामकरण पर राज्य के , कहे वेगलर हाल ।।

    चेदी जनपद काल में, चेदिसगढ़ सुखधाम।
    चेदिसगढ़ से है बना, इस प्रदेश का नाम ।।

    शासक थे जो कल्चुरी ,किए किला निर्माण।
    संख्या में छत्तीस थे , मिलते चिस्म प्रमाण।।

    ठाकुर प्यारेलाल थे ,शंकर पवन बघेल।
    अथक मेहनत से बना, पावन राज्य सुवेल।।

    एक नवंबर सौम्य तिथि,दो हजार था वर्ष।
    राज्य बना छत्तीसगढ़, मना रहें सब हर्ष।।
    7.राज्य बना छब्बीसवाँ, मिली नई पहचान।
    अपने भारत देश में, नौवाँ है शुभ स्थान।।

    नया रायपुर राज्य में, शासन का आवास।
    प्रशासनिक है केंद्र ये,सुंदर है विन्यास।।

    सप्तम राज्यों से घिरा, सीमा सुखद महान।
    मनमोहक आकार है, सागर अश्व समान।।

    मुख्य बना आधार है, कागज का व्यवसाय।
    मूल्यवान वन संपदा, होती इससे आय।।

  • जीवन का पाठ है योग / अरुणा डोगरा शर्मा

    जीवन का पाठ है योग / अरुणा डोगरा शर्मा

    अरुणा डोगरा शर्मा की “यह”जीवन का पाठ है योग” कविता सरल, प्रवाहमयी और प्रेरणादायक भाषा में रची गई है। कविता का उद्देश्य योग के सामूहिक अभ्यास के महत्व को रेखांकित करना और पाठकों को इसे अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

    yogasan

    जीवन का पाठ है योग /अरुणा डोगरा शर्मा

    भौतिक सुखों को त्याग कर ,
    सही दिशा में प्रयास कर, 
    रहना अगर निरोग तुझे ,
    मानव नित योग का उपयोग कर।।

    पौराणिक संस्कृति संभाल उसका सार,
    नहीं तो विदेशी कर देंगे तार तार, 
    युवा तुझे ही बनना होगा ढाल ,
    न लुप्त होने देना योग विचार ।।

    जीवन का पाठ है योग ,
    आओ मिलकर करें सब लोग ,
    आसन सीख कर सिखाएं ,
    जीवन भर नहीं होगा रोग।।

    अरुणा डोगरा शर्मा

    ८७२८००२५५५

    “आओ मिलकर योग करें” कविता में कवयित्री अरुणा डोगरा शर्मा ने योग के सामूहिक और सामाजिक महत्व को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। कविता में बताया गया है कि मिल-जुल कर योग करने से न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि समाज में एकता, भाईचारा और सकारात्मकता भी बढ़ती है। योग का सामूहिक अभ्यास एक प्रेरणादायक और सहयोगी वातावरण का निर्माण करता है, जिसमें हर व्यक्ति अपने स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रेरित होता है। यह कविता पाठकों को योग के सामूहिक अभ्यास के लाभों को समझने और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित करती है।

  • आओ मिलकर योग करें/ अनिता मंदिलवार सपना

    आओ मिलकर योग करें/ अनिता मंदिलवार सपना

    अनिता मंदिलवार ‘सपना’ की कविता “आओ मिलकर योग करें” योग के सामूहिक और सामाजिक महत्व को उजागर करती है। इस कविता में कवि ने योग के माध्यम से सामूहिकता, सामाजिक समरसता और स्वास्थ्य के लाभों का वर्णन किया है। योग को न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए बल्कि सामुदायिक एकता और सामूहिक कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण बताया गया है।

    yogasan

    आओ मिलकर योग करें/ अनिता मंदिलवार सपना

    स्वस्थ रहे तन और मन
    आओ मिलकर योग करें,
    स्वास्थ्य हमारा अच्छा हो
    कुछ महायोग करें ।

    पुस्तकें भी हमें
    सिखलाते हैं यही,
    संतुलित भोजन लेकर
    इसका भोग करें ।

    पानी की बचत करें
    और इसे दूषित न करें,
    प्रकृति प्रदत्त चीजों का
    हम उपयोग करें ।

    सूर्योदय से पहले उठकर
    सूर्य नमस्कार करें,
    जीवन जीने की यहीं से
    नई शुरुआत करें ।

    सांसों की क्रिया द्वारा
    आओ प्राणायाम करें,
    मन मस्तिष्क का कुछ तो
    चलो व्यायाम करें ।

    तन और मन की शक्ति
    चलो बढ़ा लें हम,
    अनुलोम-विलोम, कपालभाति से
    पुलकित हर रोम करें ।

    विचार यदि शुद्ध होंगे
    काम करेंगे अच्छे से,
    सपना पूरा होगा सबका
    ऐसा योग मनोयोग करें ।

    अनिता मंदिलवार सपना
    अंबिकापुर सरगुजा छतीसगढ़

    अनिता मंदिलवार ‘सपना’ की यह कविता सरल, प्रवाहमयी और प्रेरणादायक भाषा में रची गई है। कविता का उद्देश्य योग के सामूहिक अभ्यास के महत्व को रेखांकित करना और पाठकों को इसे अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

    कविता का सार:

    “आओ मिलकर योग करें” कविता में कवि अनिता मंदिलवार ‘सपना’ ने योग के सामूहिक और सामाजिक महत्व को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। कविता में बताया गया है कि मिल-जुल कर योग करने से न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि समाज में एकता, भाईचारा और सकारात्मकता भी बढ़ती है। योग का सामूहिक अभ्यास एक प्रेरणादायक और सहयोगी वातावरण का निर्माण करता है, जिसमें हर व्यक्ति अपने स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रेरित होता है। यह कविता पाठकों को योग के सामूहिक अभ्यास के लाभों को समझने और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित करती है।

  • आओ मिल कर योग करें हम / शिवांगी मिश्रा

    आओ मिल कर योग करें हम / शिवांगी मिश्रा

    शिवांगी मिश्रा की कविता “आओ मिल कर योग करें हम” योग के सामूहिक और सामाजिक महत्व को उजागर करती है। इस कविता में कवयित्री ने योग को न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य और शांति का साधन बताया है, बल्कि इसे एक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी प्रस्तुत किया है जो समुदाय और समाज में एकता और सकारात्मकता लाने का काम करती है।

    शिवांगी मिश्रा की यह कविता सरल, प्रेरणादायक और समर्पण की भावना से ओतप्रोत है। कविता का उद्देश्य योग के सामूहिक अभ्यास के महत्व को रेखांकित करना और पाठकों को इसे अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

    yogasan

    आओ मिल कर योग करें हम / शिवांगी मिश्रा

    चेतन्य रहे अपना ये तन मन ।
    आओ मिल कर योग करें हम ।।

    स्वास्थ्य साधना करनी सबको
    यह संदेश दिया जाए ।।
    सदा हमे रहना है सुखी तो ।
    आओ योग किया जाए ।।
    योग करोगे दूर रहेंगे,सदा हमारे रोगों का गम ।।

    आओ मिल कर योग करें हम ।।

    जीवन का गर बने नियम ये ।
    तो हर इक मन बच्चा हो ।।
    योग को हिस्सा बना लो अपना ।
    स्वास्थ्य हमेशा अच्छा हो ।।
    कभी बीमारी रोग के भय से,किसी की ना हों आंखे नम ।।

    आओ मिल कर योग करें हम ।।

    यह कानून ना बना किसी का ।
    ना ही इक ये दिवस मात्र है ।।
    हम सबका ही भला है इसमें ।
    अपना लो ना ये बुरा साथ है ।।
    इतना इसको अपनाओ की,

    कभी कही ना पाए थम ।।

    चेतन्य रहे अपना ये तन मन ।
    आओ मिल कर योग करें हम ।।

    शिवांगी मिश्रा

    “आओ मिल कर योग करें हम” कविता में कवि शिवांगी मिश्रा ने योग के सामूहिक और सामाजिक महत्व को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। कविता में बताया गया है कि मिल-जुल कर योग करने से न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि समाज में एकता, भाईचारा और सकारात्मकता भी बढ़ती है। योग का सामूहिक अभ्यास एक प्रेरणादायक और सहयोगी वातावरण का निर्माण करता है, जिसमें हर व्यक्ति अपने स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रेरित होता है। यह कविता पाठकों को योग के सामूहिक अभ्यास के लाभों को समझने और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित करती है।

  • योग बने मुस्कान हमारी / डा० भारती वर्मा बौड़ाई

    योग बने मुस्कान हमारी / डा० भारती वर्मा बौड़ाई

    डा० भारती वर्मा बौड़ाई की यह कविता सरल, प्रवाहमयी और प्रेरणादायक भाषा में रची गई है। कविता का उद्देश्य योग के लाभों को सरल और सहज रूप में प्रस्तुत करना है, ताकि पाठक इसे आसानी से समझ सकें और अपने जीवन में शामिल कर सकें।

    yogasan

    योग बने मुस्कान हमारी / डा० भारती वर्मा बौड़ाई

    योग बने मुस्कान हमारी 
    योग बने पहचान हमारी,
    योग पताका फहरी सर्वत्र 
    योग में बसी जान हमारी।

    योग दिवस आने वाला है 
    आओ अपना ध्येय बनायें,
    सफल इसे करने के वास्ते 
    हम योग अभियान चलायें।

    योग अपनाओ

    यदि 
    स्वस्थ रहना है 
    जीवन में 
    योग अपनाओ
    इसे जीवन-अंग बना
    निरोगी बन जाओ,
    स्वस्थ शरीर में 
    स्वस्थ मन रहेगा 
    स्वस्थ विचारों का 
    अजस्र प्रवाह चलेगा…!
    स्वयं करना 
    औरों को प्रेरित करना 
    जब सबका लक्ष्य बनेगा
    तभी देश का हर जन
    स्वस्थ बना 
    नव उपमान गढ़ेगा…!!
    ब्रह्म मुहूर्त में 
    उठ, स्नान-ध्यान कर 
    सूर्य नमस्कार करने का 
    पक्का नियम बनायें
    नित्य योग करना 
    अपना धर्म बनायें…!!!
    स्वस्थ, निरोगी होकर 
    कर्म करो कुछ ऐसे 
    घर, समाज, देश 
    सभी गर्वित हो जायें…!!!!
    योग स्वास्थ्य, प्रसन्नता की कुंजी है 
    सबको यह समझाना है 
    स्वस्थ नागरिक बन 
    हम सबको राष्ट्र निर्माण में 
    जुट जाना है।

    डा० भारती वर्मा बौड़ाई

    देहरादून, उत्तराखंड

    योग बने मुस्कान हमारी” कविता में कवि डा० भारती वर्मा बौड़ाई ने योग के महत्व और लाभों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। कविता में योग को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का स्रोत बताया गया है। योग के नियमित अभ्यास से जीवन में खुशहाली, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह कविता पाठकों को योग के प्रति जागरूक करने और इसे अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाने की प्रेरणा देती है। योग से जीवन में मुस्कान और खुशहाली बनी रहती है, और व्यक्ति समग्र विकास की ओर अग्रसर होता है।