19 फरवरी छत्रपति शिवाजी जयन्ती पर कविता

19 फरवरी छत्रपति शिवाजी जयन्ती पर कविता

शिवाजी महाराज ने 16वीं शताब्दी में डक्कन राज्यों को एक स्वतंत्र मराठा राज्य बनाया था। उन्होंने पहले हिंदू साम्राज्य की स्थापना की थी। शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ…
छत्तीसगढ़ कविता

नोहर होगे / डॉ विजय कन्नौजे

नोहर होगे / डॉ विजय कन्नौजे छत्तीसगढ़ कविता नोहर होगे बटकी मा बासीबारा में राहय नुन।तिवरा के बटकर, बेलि नारके राहय सुघ्घर मुंग।। तिवरा नि बाचिस संगीगरवा के चरई मा।नेवता…
Happy Republic day

गणतंत्र दिवस अमर रहे / डॉ मनोरमा चंद्रा ‘ रमा ‘

गणतंत्र दिवस अमर रहे,सब के मुख में नारा है।मातृभूमि पर शीश नवा लें,हिंदुस्तान हमारा है।। धरती से अंबर है पुलकित, वीरों के योगदान से। कदम-कदम पर हुए न्यौछावर, अपने शौर्य…
छत्तीसगढ़ कविता

छेरछेरा / राजकुमार ‘मसखरे’

छेरछेरा / राजकुमार 'मसखरे' छत्तीसगढ़ कविता छेरिक छेरा छेर मरकनिन छेरछेरामाई कोठी के धान ल हेर हेरा. आगे पुस पुन्नी जेखर रिहिस हे बड़ अगोराअन्नदान के हवै तिहार,करे हन संगी…
दिल एक मंदिर / पद्म मुख पंडा

दिल एक मंदिर / पद्म मुख पंडा

दिल एक मंदिर मंदिरों में, अगर, भगवान रहा होताहर कोई भक्त, बहुत धनवान, रहा होता! गरीबी में, जिंदगी, यूँ नहीं गुजरती,मजे में, हर कोई इन्सान ,रहा होता! सच्चाई की, न…
रोटी / विनोद सिल्ला

रोटी / विनोद सिल्ला

रोटी सांसरिक सत्य तोयह है किरोटी होती हैअनाज कीलेकिन भारत में रोटीनहीं होती अनाज कीयहाँ होती हैअगड़ों की रोटीपिछड़ों की रोटीअछूतों की रोटीफलां की रोटीफलां की रोटीऔर हांयहाँ परनहीं खाई…
JALATI DHARATI

प्रलय / रमेश कुमार सोनी

प्रलय / रमेश कुमार सोनी दिख ही जाता है प्रलय ज़िंदगी मेंदुर्घटना में पूरे परिवार के उजड़ जाने से,बाढ़,सूनामी,चक्रवात से औरकिसी सदस्य के घर नहीं लौटने सेप्रलय की आँखों में…
पालक जागरूकता पर कविता / डॉ विजय कन्नौजे

पालक जागरूकता पर कविता / डॉ विजय कन्नौजे

पालक जागरूकता पर कविता / डॉ विजय कन्नौजे बुलाते हैं शिक्षक पालक कोपर आते नहीं है लोग।पालक बालक जागरूक होशिक्षक को लगाते दोष।‌अनुशासन की पाठ कहें तोकुछ शिक्षक नही निर्दोष।गेहूं…
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चमकते सितारे/ आशीष कुमार

चमकते सितारे नन्हे नन्हे और प्यारे प्यारेआसमान में चमकते सितारेदेखा दूर धरती की गोद सेलगता पलक झपकाते सारे ऊपर कहीं कोई बस्ती तो नहींजहाँ के चिराग दिखाएँ नजारेउड़ा ले गया…
बसंत ऋतु

बसंत ऋतु / राजकुमार मसखरे

राजा बसंत / राजकुमार मसखरे बसंत ऋतु आ...जा आ...जाओ,हे ! ऋतुराज बसन्त,अभिनंदन करते हैं तेरा, अनन्त अनन्त !मचलते,इतराते,बड़ी खूबसूरत हो आगाज़,आओ जलवा बिखेरो,मेरे मितवा,हमराज़ !देखो अब ये सर्दियाँ, ठिठुरन तो…