बज उठी रण-भेरी / शिवमंगलसिंह ‘सुमन’
बज उठी रण-भेरी / शिवमंगलसिंह ‘सुमन’ मां कब से खड़ी पुकार रही, पुत्रों, निज कर में शस्त्र गहो । सेनापति की आवाज हुई, तैयार रहो, तैयार रहो। आओ तुम भी दो आज बिदा, अब क्या अड़चन, अब क्या देरी ? लो, आज बज उठी रण-भेरी। अब बढ़े चलो अब बढ़े चलो, निर्भय हो जय के … Read more