बज उठी रण-भेरी / शिवमंगलसिंह ‘सुमन’

shivmangal singh 'suman '

बज उठी रण-भेरी / शिवमंगलसिंह ‘सुमन’ मां कब से खड़ी पुकार रही, पुत्रों, निज कर में शस्त्र गहो । सेनापति की आवाज हुई, तैयार रहो, तैयार रहो। आओ तुम भी दो आज बिदा, अब क्या अड़चन, अब क्या देरी ? लो, आज बज उठी रण-भेरी। अब बढ़े चलो अब बढ़े चलो, निर्भय हो जय के … Read more

सबकी प्यारी भूमि हमारी / कमला प्रसाद द्विवेदी

सबकी प्यारी भूमि हमारी / कमला प्रसाद द्विवेदी सबकी प्यारी भूमि हमारी, धनी और कंगाल की। जिस धरती पर गई बिखेरी, राख जवाहरलाल की ।। दबी नहीं वह क्रांति हमारी, बुझी नहीं चिनगारी है। आज शहीदों की समाधि वह, फिर से तुम्हें पुकारी है। इस ढेरी को राख न समझो, इसमें लपटें ज्वाल की। जिस … Read more

जीत मरण को वीर / भवानी प्रसाद तिवारी

bhawani prasad tivari

जीत मरण को वीर / भवानी प्रसाद तिवारी जीत मरण को वीर, राष्ट्र को जीवन दान करो, समर-खेत के बीच अभय हो मंगल-गान करो। भारत-माँ के मुकुट छीनने आया दस्यु विदेशी, ब्रह्मपुत्र के तीर पछाड़ो, उघड़ जाए छल वेशी। जन्मसिद्ध अधिकार बचाओ, सह-अभियान करो, समर-खेत के बीच, अभय हो, मंगल-गान करो। क्या विवाद में उलझ … Read more

आज सिंधु में ज्वार उठा है / अटल बिहारी वाजपेयी

atal bihari bajpei

“अटल बिहारी वाजपेयी की प्रसिद्ध कविता ‘आज सिंधु में ज्वार उठा है’ में राष्ट्रीयता, साहस और भारतीय संस्कृति की महत्ता को दर्शाया गया है। यह कविता हमें प्रेरित करती है कि हम अपने देश की अखंडता और गरिमा के लिए सदा तत्पर रहें। पढ़ें और जानें इस अद्भुत रचना के गूढ़ अर्थ।” आज सिंधु में … Read more

मर्द का दर्द / डॉ विजय कुमार कन्नौजे

मर्द का दर्द / डॉ विजय कुमार कन्नौजे नारी बिना ना मर्द हैंमर्द का एक दर्द है।एक अनजाने कन्या लाकरपालने पोसने का कर्ज है। सिर झुका विनती नार कोहाथ जोड़ अर्ज है।जन्म दाता माता पिता का जिंदगी भरे कर्ज है। मर्द का एक दर्द है।। पाप कर्म किया है मर्दबच्चन पालना फर्ज है माता पिता … Read more