मुसाफिर पर कविता

 चल मुसाफिर चल-केवरा यदु “मीरा “ जिन्दगी  काँटों भरी है चल मुसाफिर चल ।गिर गिर कर उठ संभल मुसाफ़िर चल । लाख तूफाँ आये तुम रूकना नहीं।मंजिलों की चाह  है झुकना नहीं ।मंजिल तुझे मिल जायेगी आज नहीं तो कल। याद रख जो आँधियों से है टकराते ।मंजिल कदम चूमने उनके ही आते।गुनगुनाना कर मुस्कुरा … Read more

साल पर कविता

साल ही तो है कुछ को होगी ख़ुशी, कोई ग़म से भर जाएगान जाने ये नया साल भी, क्या कुछ कर जाएगा कुछ अरमान होंगे पूरी इसमें उम्मीद है हमेंऔर कुछ इस साल कि तरह ख़ुद में मर जाएगा टूटा है गर मोहब्बत तो, हो ही जाएगा दोबाराबस देखो एहतियातन वहाँ तज जहाँ तक नज़र … Read more

धर्म एक धंधा है

धर्म एक धंधा है  गंगाधर मनबोध गांगुली “सुलेख “        समाज सुधारक ” युवा कवि “ क्या धर्म है ,क्या अधर्म है ? आज अधर्म को ही धर्म समझ बैठें हैं । धर्म से ही वर्ण व्यवस्था ,                             समाज में आया है ।धर्म ही इंसान को ,               इंसान का दुश्मन बनाया है ।।01।। वर्ण व्यवस्था बाद … Read more

महामानव अटल बिहारी बाजपेयी पर कविता

atal bihari bajpei

महामानव अटल बिहारी बाजपेयी पर कविता मानवता के प्रेणता थे।            राष्ट के जन नेता थे।भारत माँ के थे तुम लाल।       प्रजातंत्र में किया कमाल।।विरोधी भी कायल थे।         दुश्मन भी घायल थे।।पत्रकार व कवि सुकुमार।        प्रखर वक्ता में थे सुमार।।जीवन की सच्चाई लिखने वाले।     सबके दिलो को जीतने वाले।।तुम्हारे मृत्यु पर दुनिया रोया है।आसमान मे घने कोहरे होया … Read more

मैं हर पत्थर में तुम्हीं को देखता हूँ

मैं हर पत्थर में तुम्हीं को देखता हूँ, मैं हर पत्थर में तुम्हीं को देखता हूँ,जब आँखों से मोहब्बत देखता हूँ।अब जल्दी नहीं कि सामने आओ मेरे,मैं तो तस्वीर भी दूर कर देखता हूँ।जहां में सब उजाले में देखते हैं तुम्हें,मैं तो अंधेरे में तेरा चेहरा देखता हूँ।सब तुझमें, खुद को देखना चाहते थे,मैं चाहता … Read more