मुसाफिर पर कविता
चल मुसाफिर चल-केवरा यदु “मीरा “ जिन्दगी काँटों भरी है चल मुसाफिर चल ।गिर गिर कर उठ संभल मुसाफ़िर चल । लाख तूफाँ आये तुम रूकना नहीं।मंजिलों की चाह है झुकना नहीं ।मंजिल तुझे मिल जायेगी आज नहीं तो कल। याद रख जो आँधियों से है टकराते ।मंजिल कदम चूमने उनके ही आते।गुनगुनाना कर मुस्कुरा … Read more