
कल का दौर भी देखा
आज का भी दौर
देख रहा हु
संभल कर चलु
कब तक
सोचता हूं वक्त
आज बुरा है
कल वक्त अच्छा भी
आएगा
वक्त संभलकर चलना
आज दुनिया मे काल
के रूप विकराल है
आज सहना, ठीक रहना
यू ही किसके जाने में
कब वो दिन गुजर गए
यू ही बिलख-बिलख
कर आंसुओ की
बून्द बहती अपनो में
यू ही दर पर कब
वो क्षण आ जाए
आए तो कब वो
क्षण गुजर जाए।