मनीभाई के हाइकु अर्द्धशतक भाग 3

हाइकु

हाइकु अर्द्धशतक १०१/ विकासशीलजगत का नियमहरेक पल १०२/अनुकूलनअस्तित्व का बचावकर पहल १०३/वातावरणकरता प्रभावितचल संभल १०४/ बच्चों के संगमिल जाती खुशियाँअपरम्पार।   १०५/ जीवन कमसमय फिसलताख्वाब हजार। १०६/ सूक्ष्म शरीरमन की चंचलताचांद के पार। १०७/ सर्वसमतानेकी बदी की छायाहरेक द्वार। १०८/ शहर शोरहो जुदा तू कर लेमौन विहार। १०९/ स्वर्ण बिछौना बिछाये धरा पररवि की रश्मि। ११०/ … Read more

मनीभाई के हाइकु अर्द्धशतक भाग 2

हाइकु

हाइकु अर्द्धशतक ५१/ बिखरे पुष्पबंसत सुगंधितभ्रमर गीत। ५२/ कबूलफूल हो चाहे धुलप्यार है मूल। ५३/ प्यार जीवनमिट्टी की दुनिया मेंबाकी कफन। ५४/ पत्थर दिलपिघलता प्यार सेनहीं मुश्किल।  ५५/ मुड़ा भास्करउत्तरायण गति हुई संक्रांति। ५६/ उत्तरायणीहो चला दिनकरराशि मकर।   ५७/ किया तर्पणभगीरथ गंगा सेसंक्रांति दिन। ५८/ संक्रांति तिथिशरीर परित्यागमहान  भीष्म। ५९/ बाल संवारे~कांधे लटका थैलास्कूल को … Read more

मनीभाई के हाइकु अर्द्धशतक भाग १

हाइकु

हाइकु अर्द्धशतक १/बसंत नाचेगाये गीत फाग केप्रेम राग के। २/बासंती चिट्ठीसंवदिया बन केआया बयार। ३/  बासंती  हवा   रंग  बिखर गया। निखर गया। ४/फलक तले खिले सरसों फुलबसंत पले। ५/पी का दीदारनशा ज्यों हो शराबदिल गुलाब । ६/ नदिया तीरखड़ा है जो गंभीरशिव मंदिर। ७/ मस्जिद परअल्लाहु अकबररब का घर । ८/ हर जगहवाहेगुरू फतहजै … Read more

तांका विधा के बारे में जानकारी

हाइकु

तांका विधा के बारे में जानकारी तांका जापानी काव्य की कई सौ साल पुरानी काव्य विधा है। इस विधा को नौवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी के दौरान काफी प्रसिद्धि मिली। उस समय इसके विषय धार्मिक या दरबारी हुआ करते थे। हाइकु का उद्भव इसी से हुआ। तांका की वर्ण योजना इसकी संरचना ५+७+५+७+७=३१ वर्णों की … Read more