सुफल बनालो जन्म कृष्णनाम गायके – बाबूराम सिंह

सुफल बनालो जन्म कृष्णनाम गायके कृष्ण सुखधाम नाम परम पुनीत पावन ,पतित उध्दार में भी प्यार दिखलाय के।कर की मुरलिया से मोहे त्रिलोक जब ,सुफल बना लो जन्म कृष्ण नाम गाय के। चौदह भुवन ब्रह्मांण्ड त्रिलोक सारा ,पालन संहार सृष्टि…

जीवन पर कविता – नीरामणी श्रीवास

सिंहावलोकनी दोहा मुक्तकजीवन जीवन के इस खेल में,कभी मिले गर हार ।हार मान मत बैठिए , पुनः कर्म कर सार ।।सार जीवनी का यही , नहीं छोड़ना आस ।आस पूर्ण होगा तभी , सद्गुण हिय में धार ।। जीवन तो…

लेखनी तू आबाद रहे – बाबूराम सिंह

कविता लेखनी तू आबाद रह ——————————- जन-मानस ज्योतित कर सर्वदा, हरि भक्ति प्रसाद रह। लेखनी तूआबाद रह। पर पीडा़ को टार सदा, शुभ सदगुण सम्हार सदा। ज्ञानालोक लिए उर अन्दर, कर अन्तः उजियार सदा। बद विकर्म ढो़ग जाल फरेब का,…

क्यों करता हूँ कागज काले – डी कुमार–अजस्र

क्यों करता हूँ कागज काले.. क्यों करता हूं कागज काले …??बैठा एक दिन सोच कर यूं ही ,शब्दों को बस पकड़े और उछाले ।आसमान यह कितना विस्तृत ..?क्या इस पर लिख पाऊंगा ?जर्रा हूं मैं इस माटी का,माटी में मिल…

चलो,चले मिलके चले – रीतु प्रज्ञा

विषय-चलों,चले मिलके चलेविधा-अतुकांत कविता *चलो,चले मिलके चले* ताली एक हाथ सेनहीं बजती कभीचलने के लिए भीहोती दोनों पैरों की जरूरतफिर तन्हा रौब से न चले,चलो,चले मिलके चले।शक्ति है साथ मेंनहीं विखंड कर सकता कोईकरता रहता जागृत सोए आत्मा कोहरता प्रतिपलउदासीपन,…