फूफा रिश्ता पर कविता

(बिहाव के सम्मे म फूफा के अलगेच रउब रईथे। काबरकि ओहर तईहा के भांटो मतलब  "सियान के भांटो" रईथे। अऊ ओकर सियानी के  दिन काल भागत रईथे। तेकर जगह म मोर भांटो के पदवी आत रईथे । ओला ओहर सहन नई करन सके। तिकर पाय बर ए कविता ल प्रयास करे गय हे:-)