हे गणनायक – विनोद कुमार चौहान
हे गणनायक (सार छंद) हे गणनायक हे लम्बोदर, गजमुख गौरी नंदन।लोपोन्मुख थाली से होते, अक्षत-रोली-चंदन।। हे शशिवर्णम शुभगुणकानन, छाई है लाचारी।बढ़ती मँहगाई से अब तो, हारी जनता सारी।। हे यज्ञकाय हे योगाधिप, भोग लगाऊँ कैसे।मोदक की कीमत तो बप्पा, बढ़े कनक के जैसे।। हे उमापुत्र हे प्रथमेश्वर, मँहगे हैं अब ईंधन।मूषक वाहन ही अच्छा है, … Read more