हैप्पी हैप्पी क्रिसमस टू यू – मनीभाई नवरत्न

25 दिसंबर क्रिसमस डे यीशु मसीह

हिंदी कविता संग्रह

हिंदी कविता संग्रह

25 दिसंबर क्रिसमस डे यीशु मसीह

मनीभाई नवरत्न के सेदोका सेदोका – पंछी की दिशा पंछी की दिशाबता रही है सदाहोने को महानिशा। लौट आओ रेघर से जाने वालोंमंजिल बुला रही। 🖊मनीभाई नवरत्न समुद्री हवा समुद्री हवाएक होके बूंदों सेबारिश की तीरों सेबरस रहीमदमस्त गिरि कोधीरे से…

स्काउट जम्बुरी गीत यह गीत स्काउट गाइड और जम्बूरी के महत्व और मूल्यों को दर्शाता है। यहां इस गीत को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है: जम्बूरी गीत सबसे अपना गहरा नाता है,सबसे अपनी है प्रीति।आओ एक दूजे को मान दें,समझें…

maa durga bhajan: bhakti hai jinke ragon mein
दम्भ पर कविता घाव ढाल बन रहे. स्वप्न साज बह गये।. पीत वर्ण पात हो. चूमते विरह गये।। काल के कपाल पर. बैठ गीत रच रहा. प्राण के अकाल कवि. सुकाल को पच रहा. सुन विनाश गान खगरोम की तरह…
मोहिनी-कुंडलियाँ सूरत है मन मोहिनी, राधा माधव साथ।हुए निरख सब बावरे, ले हाथों में हाथ।।ले हाथों में हाथ, छवि लगती अति न्यारी।मुरलि बजाए श्याम,लगे सबकोये प्यारी।।कहता कवि करजोरि,है मनमोहिनी मूरत।सब पाएं सुख चैन, देखके उनकी सूरत।।🕉🕉🕉🕉राधा गोरी है अधिक, साँवले…
पृथ्वीराज पर कविता अजयमेरु गढ़ बींठली, साँभर पति चौहान।सोमेश्वर के अंश से, जन्मा पूत महान।। ग्यारह सौ उनचास मे, जन्मा शिशु शुभकाम।कर्पूरी के गर्भ से, राय पिथौरा नाम।। अल्प आयु में बन गए, अजयमेरु महाराज।माँ के संगत कर रहे, सभी…
नन्ही कदमों पर कविता नन्ही कदमों से कोसों चलेमाँ की आंचल पकड़े -पकड़े !और कितनी दूर जाना है माँकुछ चलकर हो जाते खड़े !! माँ बोली थोड़ी दूर और ..बेटा हमको चलना है !एक बार पहुँच गये तोफिर वही पर…
सरकारी रिपोर्ट पर कविता सरकारी रिपोर्ट में कभीमजदूर नहीं होतेमज़दूरों की पीड़ा नहीं होतीमज़दूरों के बिलखते बच्चे नहीं होतेनहीं होता उनके अपनी धरती से पलायन होने का दर्दनहीं होती उनकी भूख और प्यास की कथाबूढ़े माँ-बाप से अलगाव की मज़बूरीऔर…
विकास यात्रा निकला था वहविकास यात्रा में कमायाअपार धन अर्जित कियाअपार यश अब उसेभूख नहीं लगतीनींद नहीं आती अब केवलअपनी तृष्णा के सहारेजीवित हैविकास यात्री। — नरेन्द्र कुमार कुलमित्र9755852479 Post Views: 111
रोटी पर कविता पता नहींइसे रोटी कहूँया भूख या मौतआईना या चाँदमज़बूरी या ज़रूरी कभी मैं रोटी के लिएरोती हूँकभी रोटीमेरे लिए रोती है कभी मैंभूख कोमिटाती हूँकभी भूखमुझे मिटाती है रोटी से सस्तीहोती है मौतवह मिल जाती हैआसानी सेपर…
विकास पर कविता उनकी सोच विकासवादी हैउन्हें विश्वास है केवल विकास परविकास के सारे सवालों परवे मुखर होकर देते है जवाबउनके पास मौजूद हैंविकास के सारे आँकड़े कृषि में आत्मनिर्भर हैंखाद्यान से भरे हुए हैं उनके भंडारआप भूख से मरने…