बछ बारस पर कविता – दोहा छंद

doha sangrah

बछ बारस पर कविता – दोहा छंद बछ बारस सम्मानिए, गौ बछड़े की मात।मिटे पाप संताप तन, दैव प्रमाणित बात।। पावस सावन में मनें, बछ बारस का पर्व।गौ सेवा कर नर मिले, मेवा मंगल गर्व।। भिगो मोठ को लीजिए, उत्तम यह आहार।गौ को मीठे में खिला, बछ बारस व्यवहार।। गौ माताएँ हिन्द हित, बछ सौभाग्य … Read more

मुंशी प्रेमचंद्र जी के सम्मान में दोहा छंद

व्यक्तित्व विशेष कविता संग्रह

आ.मुंशी प्रेमचंद्र जी के सम्मान म़े सादर समर्पित मुंशी प्रेमचंद्र जी के सम्मान में दोहा छंद प्रेम चन्द साहित्य में , भारत की त़सवीर।निर्धन,दीन अनाथ की,लिखी किसानी पीर।। सामाजिकी विडंबना , फैली रीति कुरीति।चली सर्व हित लेखनी, रची न झूठी प्रीत।। गाँव खेत खलिहान सब,ठकुर सुहाती मान।गुरबत में ईमान का , पाठ लिखा गोदान।। बूढ़ी … Read more

तीज पर कविता – चौपाई छंद

तीज पर कविता – चौपाई छंद _बाबूलालशर्मा,विज्ञ_ वर्षा ऋतु सावन सुखदाई।रिमझिम मेघ संग पुरवाई।।मेह अमा हरियाली लाए।तीज पर्व झूले हरषाए।। झूले पटली तरुवर डाली।नेह डोर सखियाँ दे ताली।।लगे मेंहदी मने सिँजारा।घेवर संग लहरिया प्यारा।। झूला झूले नारि कुमारी।गाए गीत नाचती सारी।।करे ठिठोली संग सहेली।हँसे हँसाए तिय अलबेली।। झूले पुरुष संग सब बच्चे।पींग बढ़ाते लगते सच्चे।।धीर … Read more

नागपंचमी पर हिन्दी कविता

नागपंचमी पर हिन्दी कविता गीत- उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट नाग पंचमी के अवसर पर, नागों का पूजन कर आएँआस्तीन में नाग छिपे जो, उनसे तो भगवान बचाएँ। मानवता का ओढ़ लबादा, सेवा का जो ढोंग कर रहेजिसको चाहें डस लेते वे, पीड़ित कितना कष्ट अब सहे इच्छाधारी बने आज जो, वे तो हैं सब से टकराएँ … Read more

नाग पंचमी पर कविता – अमृता प्रीतम

नाग पंचमी पर कविता – अमृता प्रीतम मेरा बदन एक पुराना पेड़ है…और तेरा इश्क़ नागवंशी –युगों से मेरे पेड़ कीएक खोह में रहता है। नागों का बसेरा ही पेड़ों का सच हैनहीं तो ये टहनियाँ और बौर-पत्ते –देह का बिखराव होता है… यूँ तो बिखराव भी प्याराअगर पीले दिन झड़ते हैंतो हरे दिन उगते … Read more