पाप-कुण्डलियाँ
पाप-कुण्डलियाँ निर्जन पर्वत में अगर , करो छुपाकर पाप ।आज नहीं तो कल कभी , …

हिंदी कविता संग्रह

हिंदी कविता संग्रह
पाप-कुण्डलियाँ निर्जन पर्वत में अगर , करो छुपाकर पाप ।आज नहीं तो कल कभी , …
प्रभु ने ऐसी दुनिया बनाई है- प्रभु ने ऐसी दुनिया बनाई है,कही धूप तो कही गम की परछाई है। रात का राजा देता है पहरा,चांदनी छिटककर मन में समाई है। निशा ने हर रूप है बदले,धरा पर जुगनुओं की बारात…
पेरा ल काबर लेसत हो तरसेल होथे पाती – पाती बर, येला काबरा नइ सोचत हो!ये गाय गरुवा के चारा हरे जी , पेरा ल काबरा लेसत हो !! मनखे खाये के किसम-किसम के, गरुवा बर केठन हावे जी !पेरा…
तांका की महक बेटी चाहतीमाता पिता की खुशीबहू के लिएसास ससुर बोझतनातनी है रोज बेटी हमारीससुराल क्या गईसास ससुरमांगते हैं दहेजचाहिए कार नई मच्छरों को क्यापाप पुण्य से कामचूसेंगे खूनसभी लोगों का यूं हीजीना करें हराम लापरवाहीहोती खतरनाकसतर्क रहेंध्यान रखें…

रामराज्य पर कविता / बाँके बिहारी बरबीगहीया सप्तपुरी में प्रथम अयोध्या जहाँ रघुवर अवतार लिए।हनुमत, केवट, गुह , शबरीसुग्रीव को हरि जी तार दिए।गौतम की भार्या अहिल्या कोचरण लगा उद्धार किए ।मारीच, खर- दूषण , बालीऔर रावन का संहार किए ।आज…
एक नया ख्वाब सजायें सपने कभी सुनहले कभी धुंधले सेआँखों के रुपहले पर्दे पर चमकते सेबुन कर उम्मीदों के ताने बानेहम सजाते जाते हैं सपने सुहाने कनकनी होती है तासीर इनकीमुक्कमल नहीं होती हर तस्वीर जिनकीसपनों को नही मिल पाता…
प्रदूषण पर आधारित कविता यत्र प्रदूषण तत्र प्रदूषण सर्वत्र प्रदूषण फैला हैखानपान भी दूषित हैवातावरण प्रदूषित है जनसंख्या विस्फोट भी एक समस्या भारी हैजिसके कारण भी होतीप्रदूषण की भरमारी है जल, वायु, आकाश प्रदूषितनभ, धरती, पाताल प्रदूषितमिल कर जिम्मेदारी लेंइस समस्या…

मच्छर -अजस्र(दुर्गेश मेघवाल) एक हादसा कल रात हो गया, हो बीमार मैं पस्त पड़ा।मच्छर एक ललकारते हुए, तान के सीना…

राधा की पुकार गीत / केवरा यदु “मीरा “ राधा पुकारे तोहे श्याम हाथ जोड़ कर।आ जाओ मोहन प्यारे मथुरा को छोड़ कर।।आ जाओ मोहन प्यारे मथुरा को छोड़ कर । रूठ गई निंदिया श्याम , चैनों करार भी।प्रीत जगाके …
पुरानी यादो पर ग़ज़ल भुला बैठे थे हम जिनको वो अक्सर याद आते हैंबहारों के हसीं सारे वो मंज़र याद आते हैं रहे कुछ बेरहम से हादसे मेरी कहानी केझटक कर ले गए सबकुछ जो महशर याद आते है दिलों…
नोटबंदी पर कविता सरकार जी आपने की थी नोटबंदीआठ नवंबरसन् दो हजार सोलह कोनहीं थकेआपके चाहने वालेनोटबंदी केफायदे बताते-बतातेनहीं थकेआपके आलोचकआलोचना करते-करतेलेकिन हुआ क्या?पहाड़ खोदने कीखट-खट सुनकरबिल छोड़कर सुदूरचूहा भी भाग निकलाआज है वर्षगांठनोटबंदी कीफायदे बताने वालेनहीं कर रहेनोटबंदी की याद…
छत्तीसगढ़ मैया पर कविता जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मैया,सुन लोग हो जाते स्तंभित,राष्ट्रगान सा स्वर है गुजँता,छत्तीसगढ़ का यह राज गीत,नरेंद्र देव वर्मा की अमर रचना,है उसकी आत्मा की संगीत,छत्तीसगढ़िया को बांधे रखता ,यह पावन सुंदर सा गीत ,धरती…