चैत्र मास संवत्सर / परमानंददास
चैत्र मास संवत्सर परिवा बरस प्रवेस भयो है आज।कुंज महल बैठे पिय प्यारी लालन पहरे नौतन साज॥१॥आपुही कुसुम हार गुहि लीने क्रीडा करत लाल मन भावत।बीरी देत दास परमानंद हरखि निरखि जस गावत॥२॥
चैत्र मास संवत्सर परिवा बरस प्रवेस भयो है आज।कुंज महल बैठे पिय प्यारी लालन पहरे नौतन साज॥१॥आपुही कुसुम हार गुहि लीने क्रीडा करत लाल मन भावत।बीरी देत दास परमानंद हरखि निरखि जस गावत॥२॥
राजाओं का राजस्थान वीरों का जमी,रजवाड़ों का है यह घर,उंचे-लंबे महल है,आकर्षित करे सरोवर।राजपूतों और भीलों का,है ये सुंदर धरती,हिन्द की संस्कृति,देखने को यह पुकारती।जन्म लिए वीर योद्धा,और वीरांगना-महान,है अदम्य अनोखा,राजाओं का राजस्थान। अरावली की सुंदरता,बखान करती है बयार,कुछ सूप्त नदियाँ,सरोवर भी है यहां अपार।थार मरुस्थल में है रेत,छोटे-बड़े बरखान,हे अदम्य अनोखा,राजाओं का राजस्थान। जोधपुर,जयपुर,जैसलमेर,बीकानेर … Read more
हाय रे! मेरे गाँवों का देश -मनीभाई नवरत्न हाय रे ! मेरे गांवों का देश ।बदल गया तेरा वेश। सूख गई कुओं की मीठी जल ।प्यासी हो गई हमारी भूतल ।थम गई पनिहारों की हलचल ।क्या यही था विकास का पहल ?क्या यही है अपना प्रोग्रेस ?हाय रे! मेरे गांवों का देश । भूमि बनती … Read more
राजस्थान दिवस कविता : प्रत्येक वर्ष 30 मार्च को हम राजस्थान की अमर गाथा का अपनी सुनहरी यादों में समरण कर इसे राजस्थान दिवस के रूप में मानते है। देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की परम्परा आज भी राजस्थान में कायम है। 30 मार्च, 1949 को जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय … Read more
सामाजिक विषमता पर कविता- बही बयार कुछ ऐसी जूझ रहे जीने के खातिर,पल पल की आहट सुनकर,घोर यंत्रणा नित्य झेलते,मृत्यु देवता की धुन पर।सुख हो स्वप्न, हंसी पागलपन,और सड़क पर जिसका घर,किस हेतु वह भय पाले,जब मृत्यु बोध हो जीवन भर? जो कंगाल वही भिक्षुक हो,ऐसा नियम नहीं कोई,जो धनवान, वही दाता हो,होता नहीं, सही … Read more