जगत नाथ जगदीश पर दोहा

जगत नाथ जगदीश पर दोहा

  1. दोहा – जगत नाथ जगदीश है
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    (१)
    जगत नाथ जगदीश है,जग के पालनहार।
    जन्म लिए संसार में,हरने को भू – भार।।

                        (२)
    हृदय लगाकर पूजना,करके पावन कर्म।
    देवों का आशीष पा,सदा निभाना धर्म।।

    (३)
    मानव जीवन सार है,सब जन्मों में श्रेष्ठ।
    जिसकी जैसी भावना,पाता वहीं यथेष्ठ।।

    (४)
    शांत रहे जो निज हृदय,तब सुख का भंडार।
    जब पूजों भगवान को,चलकर आता द्वार।।

                       (५)
    पूर्ण हुई इच्छा सभी,आ जगदीश्वर धाम ।
    रहते हैं अब ध्यान में,प्रभुवर आठोंयाम।।

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    रचनाकार डीजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
    पिपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
    मो. 8120587822

दीप पर कविता

दीप पर कविता

ओ दीप ! तुझे मन  टेर रहा है ।

प्यासे  मृग-सी  अँखियाँ  लेकर

पवन-पथिक को चिट्ठियाँ देकर

पथ   भटके   बंजारे   के   ज्यों

पल-पल   रस्ता   हेर   रहा   है ।

ओ दीप ! तुझे  मन  टेर रहा है ।

देख  प्राण  को  निपट अकेला

लगा   झूमने  दुख    का  मेला

बरसूँगा  नित  पलक-धरा  पर

आँसू    माला   फेर    रहा   है ।

ओ दीप ! तुझे  मन  टेर रहा है ।

तुझ बिन प्रियतम  घोर अँधेरा

कारागृह-सा     जीवन    मेरा

थका हुआ यह साँस का पंछी

कर   पर  दीप  उकेर  रहा  है ।

ओ दीप ! तुझे  मन  टेर रहा है ।

०००

अशोक दीप

जयपुर

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