अवि के हाइकु

हाइकु

अवि के हाइकु जीवन पथप्रेम और संघर्षदुलारा बेटा मनमोहनबलिहारि जाँऊ मैंतेरी मुस्कान मां हूँ मैंलड़ूंगी भूख से मैंये अग्निपथ समर्पित हैतुझ पे ये जीवनराज दुलारा ©अविअविनाश तिवारीजांजगीर चाम्पा Post Views: 116

संतोषी है मधुशाला

संतोषी है मधुशाला संतोषी अँगूर लता है,संतोषी साकी बाला।संतोषी  पीने  वाला हैसंतोषी है मधुशाला।बस्ती -बस्ती चौराहे पर,अपनी दुकान खोलने वाले। विज्ञापन  के राम  भरोसे,अपनी दुकान चलाने वाले।जंगल उपवन बाग बगीचे,संतोष  दिखाई  देता है।डगर अकेली सन्नाटे मे,भीड़ जुटाती मधुशाला। संतोष  समाई …

द्रोपदी चीर प्रसंग पर दोहे/ पुष्पा शर्मा”कुसुम”

doha sangrah

द्रोपदी चीर प्रसंग पर दोहे पासे फेंके कपट केशकुनि रहा हर्षायदाव द्रोपदी लग गईरहे पाण्डव शर्माय सभा मध्य में द्रोपदीकरती करुण पुकारचीर दुशासन खींचतानहीं बचावन हार भीष्म बली कुरुराज ने  साध लिया है मौनपांचों पति बोले नहींबचा सके अब कौन…

श्रीकृष्ण पर दोहे

shri Krishna

श्रीकृष्ण पर दोहे सुभग सलोने सांवरेनटवर दीन दयालनिरख मनोहर श्याम छविनैना हुए निहाल छवि मोहन की माधुरीनैना लीन्ह बसायजित देखों वो ही दिखेऔर ना कछु लखाय गावत गुण गोपाल केदही मथानी हाथब्रज जीवन निर्भय भयोश्याम तुम्हारे साथ पुष्पा शर्मा “कुसुम”…

अविनाश तिवारी के दोहे

doha sangrah

अविनाश तिवारी के दोहे घड़ी घड़ी घड़ी का फेर है,    मन में राखो धीर।राजा रंक बन जात है,   बदल जात तकदीर।। प्रेम प्रेम न सौदा मानिये,    आतम  सुने पुकार।हरि मिलत हैं प्रीत भजेमति समझो व्यापार।। दान देवन तो करतार है, …

कारगिल विजय दिवस पर कविता

कारगिल विजय दिवस कारगिल विजय दिवस है,जीत का त्यौहार है ।उन  शहीदों  को  नमन  है,वंदन  बार-बार है ।। वीर तुम बढे चले थे,चल रही थी गोलियाँ ।बर्फ  की  चादरों   पे दुश्मनों की टोलीयाँ ।।मगर तुम रुके  नहीं,   इंच भी डिगे…

किसान पर हाइकु

किसान खेत जोतते हुए

किसान पर हाइकु मेघ बरसेअनचाही बारिशटूटती आस खड़ी फसलहो रही है बर्बादरोता किसान खेत हैं सूखेभूख कौन मिटायेंबंजर धरा। रस्सी के फंदेशाहकारों का कर्जलम्बी गर्दन। कर्ज से मुक्तिशासन से राहतकृषक हंसा। अविनाश तिवारी Post Views: 98

राख विषय पर हाइकु -रमेश कुमार सोनी

हाइकु

राख विषय पर हाइकु- रमेश कुमार सोनी 1 मोक्ष ढूंढने चला – चली की बेला राख हो चला ।। 2 राख का डर जिंदगी ना रुकती मौत है सखी ।। 3 पानी जिंदगी अग्नि , राख की सखी नहीं निभती…

उन बातों को मत छेड़िये

उन बातों को मत छेड़िये सारी बातें बीत गई उन बातों को मत छेड़िये,जो तुम बिन गुजरी उन रातों को मत छेड़िये। तुम मिलो न मिलो हमसे रूबरू होकर कभी,लाखो शिकायते हैं उन हालातों को मत छेड़िये। एक नजर भर…

जुल्मी-अगहन

जुल्मी-अगहन जुलुम ढाये री सखी,अलबेला अगहन!शीत लहर की कर के सवारी,इतराये चौदहों भुवन!!धुंध की ओढ़नी ओढ़ के धरती,कुसुमन सेज सजाती।ओस बूंद नहा किरणें उषा की,दिवस मिलन सकुचाती। विश्मय सखी शरमाये रवि- वर,बहियां गहे न धरा दुल्हन!!जुलूम…..सूझे न मारग क्षितिज व्योम-पथ,लथपथ…

चेहरे पर कविता

चेहरे पर कविता सुनोकुछ चेहरोंके भावों को पढ़नाचाहती हूॅपर नाकाम रहती हूॅ शायदखिलखिलाती धूप सीहॅसी उनकीझुर्रियों की सुन्दरताबढ़ते हैंपढ़ना चाहती हूॅउस सुन्दरता के पीछेएक किताबजिसमें कितनेगमों के अफसाने लिखे हैंना जाने कितने अरमान दबे हैंना जाने कितने फाँके लिखे हैं…

इन्तजार पर कविता

इन्तजार पर कविता विसंगति छाई संसृति मेंकरदे समता का संचार।मुझे ,उन सबका इन्तजार…। जीवन की माँ ही है, रक्षकफिर कैसे बन जाती भक्षक ?फिर हत्या, हो कन्या भ्रूण की या कन्या नवजात की ।रक्षा करने अपनी संतान कीजो भरे माँ…