हरियाली पर कविता

हरियाली पर कविता एक वृक्ष सौ पुत्र समान|जंगल वसुधा की शान||पर्यावरण सुरक्षित कर |धरती का रखें सम्मान|| स्वच्छ परिवेश बनाना है|पेड़ अधिक लगाना है ||हरितमा बनीं धरा को |धानीं चुनर पहनानाहै|| हरियाली चहुं ओर आयी|ठंडी हवा बही सुखदायी||धरा बनीं है आज दुल्हन|कारी बदरी गगन पर छायी|| पंछी उड़े उन्नत गगन |जैसे पायल की छनछन||पंखो को … Read more

नमन तुम्हें है राष्ट्रभाषा

नमन तुम्हें है राष्ट्रभाषा नमन तुम्हें है राष्ट्रभाषानमन तुम्हें से मातृभाषाजीवंत तुम्हें अब रहना हैपुष्पों के जैसे खिलना है। अंग्रेजों ने था अस्तित्व मिटायाहिन्दी भाषा को मृत बनायाअपनी भाषा का परचम लहरायाहमारी भाषा को हमसे किया पराया। आजा़दी के बाद भी हिन्दीसंविधान में मौन पड़ी हैद्वितीय भाषा का कलंक झेलतीअंग्रेजी प्रथम स्थान पर खड़ी है। … Read more

निराला प्रकृति- कुंडलिया छंद

निराला प्रकृति निराला रूप प्रकृति का , लगता है चितचोर।भाये मन को ये सदा , करता भाव विभोर।।करता भाव विभोर , सभी को खूब लुभाता।फैला चारों ओर , मनुज दोहन करवाता ।।रखना ‘मधु’ यह ध्यान , बनें हम नहीं निवाला।प्रकृति का रहे साथ , करें कुछ काम निराला।। मधुसिंघी नागपुर (महाराष्ट्र)

कैसे गीत लिखूं

कैसे गीत लिखूं अब मैं कैसे गीत लिखूंकैसे प्रीत की रीत लिखूं ना कोई संगी ना कोई साथीजैसे तेल बिन जले है बाती कैसे प्रीत की रीत लिखूं.. ना कोई मेल ना है मिलापफिर क्यों बिछोह का है आलाप अब कैसे मैं गीत लिखूं.. इक बस तेरा ही सहारा था बसहर पल संग तेरे ,गंवारा … Read more

हिन्दी का शृंगार

हिन्दी का शृंगार आ सजनी संग बैठआज तुझे शृंगार दूँमेरी प्रिय सखी हिंदीमैं तुझको संवार दूँ । कुंतिल अलकों के बीचऊषा की सजा कर लालिमा,मुकलित कलियों की वेणीजूड़े के ऊपर टांग दूँ।आ सजनी..। ईश वंदन बेंदी शीशफूलपावन स्तुतियों के कर्ण फूल,अरुण बिंदु सजा भालगहन तम का अंजन सार दूँ।आ सजनी..।नथनी पे सजा दूँ तेरेसद्भावों के … Read more