लकड़ियों पर कविता

लकड़ियों पर कविता              चिता की लकड़ियाँ,ठहाके लगा रही थीं,शक्तिशाली मानव को,निःशब्द जला रही थीं!मैं सिसकती रही,जब तू सताता था,कुल्हाड़ी लिए हाथ में,ताकत पर इतराता था!भूल जाता बचपन में,खिलौना बन रिझाती रही,थक जाता जब खेलकर,पालने में झुलाती रही!देख समय का चक्र,कैसे बदलता है,जो जलाता है वो,कभी खुद जलता है!मेरी चेतावनी है,अब मुझे पलने दे,पुष्पित,पल्लवित,होकर फलने … Read more

बोल रहे पाषाण

बोल रहे पाषाण बोल रहे पाषाण अबव्यक्ति खड़ा मौन है,छोड़ा खुद को तराशनापत्थरों पर ही जोर है।कभी घर की दीवारेंकभी आँगन-गलियारे,रखना खुद को सजाकररंग -रौगन का दौर है।घर के महंगे शो पीसबुलाते चारों ओर हैं  ,मनुज को समय नहींअब चुप्पी का दौर है।दिखावे की है दुनियाकलाकारी सब ओर है,असली चेहरा छुपा लेनाअब मुखौटों का दौर … Read more

आया बसंत

“आया बसंत” नव पल्लव नव रंग लिए,नव नवल पुष्प का गंध लिए।सरसों की पीली चुनरी ओढ़े, टेशू के सुन्दर रंग लिए। खेतों और खलिहानों में, बागों और कछारों में। जंगल और पहाड़ों में, रंग बसंती संग लिए। उलट-पुलट चल रही बयारें, दिशा दिशा सब झूम रहे।नव चेतन का गुँजार लिए, चहुंओर निराली सी लगती।नभ में उज्जवल … Read more

दोहा सप्तक

doha sangrah

दोहा सप्तक                          *जो तू तोड़े फूल को , किया बड़ा क्या काम ।फूलों को  मुरदा  करे , खुश हो  कैसे  राम ।।                         *जीवन  के सौन्दर्य से , जब  होगी पहचान ।पायेगा  तब ही  मजा , सचमुच  में इंसान ।।        .                 *समय लगे न चित्र रचे , झटपट रचना होय ।एक चरित्र  निर्माण में , … Read more

जिन्दगी पर कविता

जिन्दगी पर कविता जिन्दगी तो प्रेम की एक गाथा है,जिन्दगी भावुक प्रणय की छाँव है,जिन्दगी है वेदना की वीथिका सीजिन्दगी तो कल्पना की छुवन भर है। जिन्दगी है चन्द सपनों की कहानी,जिन्दगी विश्वास के प्रति सावधानी,जिन्दगी इतिहास है निर्मम् समय का जिन्दगी तो आँसुओं की राजधानी। जिन्दगी तो लहलहाती फसल सी हैजिन्दगी कल्पनाओं के सुनहरे … Read more