भँवरा
भँवरा मधु का अभिलाषी भँवराकरे मधुऋतु का इंतजारभर गई नव मुकुल गागरीचहुँ ओर चली है मंद बयार।पुष्प-पुष्प पर भ्रमर मंडराएगीत नव मिलन गुनगुनाएमकरंद भरी मंजरी हृदय परचिरंतन सुख मधुप को भाए।यौवन छा गया कुसुमों परमहकी कोंपल पुष्पों की डालीरसपान करे मदमत्त हो भंवराकोकिल हो उठी है मतवाली।चिरप्रतीक्षित मकरंद पिपासातृप्त भ्रमर नवजीवन पायामधुरस के असीम आनंद … Read more