Tag कविता

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भगत सिंह तुम्हारा नाम अमर / मनीभाई नवरत्न

भगत सिंह तुम्हारा नाम अमर (Intro)देश की माटी का सपूत था वो,अंग्रेज़ों के लिए काल था।कभी डरते ना, कभी ना झुकते थे,आजादी का मिसाल था । (Chorus)भगत सिंह, भगत सिंह, तुम्हारा नाम अमरतुम्हारे शौर्य वीरता को, गाता है घर घर।…

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इंद्रधनुष के रंग उड़े हैं/ बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*

इंद्रधनुष के रंग उड़े हैं/ बाबू लाल शर्मा *विज्ञ* इन्द्र धनुष के रंग उड़े हैं. देख धरा की तरुणाई।छीन लिए हाथों के कंगन. धूम्र रेख नभ में छाई।। सुंदर सूरत का अपराधी. मूरत सुंदर गढ़ता हैकौंध दामिनी ताक ताक पथ.…

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घर-घर में गणराज – परमानंद निषाद

“घर-घर में गणराज” परमानंद निषाद द्वारा रचित एक कविता है जो गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की महिमा और उनकी पूजा के महत्व को दर्शाती है। यह कविता गणेश उत्सव की खुशी, भक्ति, और सांस्कृतिक समृद्धि को प्रकट…

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वतन वालों वतन ना बेच देना

वतन वालों वतन ना बेच देना वतन वालों वतन ना बेच देनाये धरती, ये गगन ना बेच देनाशहीदों ने जान दी है, वतन के वास्तेशहीदों के कफ़न ना बेच देना दोस्तों, साथियों, हम चले दे चलेअपना दिल अपनी जाँताकि जीता…

दीदी की डायरी पर कविता/ जानसी पटेल

दीदी की डायरी पर कविता/ जानसी पटेल दीदी की डायरी में, अनगिनत कहानियाँ,सपनों की बातें और बचपन की नादानियाँ। रंग-बिरंगे पन्ने, सजी यादों से प्यारे,सुख-दुःख के पल, हर पन्ने में गुज़ारे। पहला प्यार, पहली दोस्ती की कहानी,स्कूल के दिन, और…

आंसू पर कविता

आंसू पर कविता दर्द जब पिघलता है तो बह आते हैं आँसूसुख में हों या हो दुख में रह जाते हैं आँसू विकट वेदना पीर बहेआघातों के तीर सहेकंपित अधरें मौन रहेगूंगी वाणी व्यथा कहे सूनी सूनी  पलकों पर हिमकण…