मकर से ऋतुराज बसंत (दोहा छंद)-बाबू लाल शर्मा

मकर से ऋतुराज बसंत (दोहा छंद)-बाबू लाल शर्मा सूरज जाए मकर में, तिल तिल बढ़ती धूप।फसले सधवा नारि का, बढ़ता रूप स्वरूप।।.पशुधन कीट पतंग भी, नवजीवन मम देश।वन्य जीव पौधे सभी, कली खिले परिवेश।।.तितली भँवरे मोर पिक, करते हैं मनुहार।ऋतु बसंत के आगमन, स्वागत करते द्वार।।.मानस बदले वसन ज्यों, द्रुम दल बदले पात।ऋतु राजा जल्दी … Read more

वट सावित्री पूजा पर दोहे -बाबू लाल शर्मा

वट सावित्री पूजा पर दोहे -बाबू लाल शर्मा वट सावित्री पूज कर, जो रखती उपवास।धन्य धन्य है भारती, प्राकत नारी आस।। ढूँढे पूजन के लिए, बरगद दुर्लभ पेड़।पथ भी दुर्गम हो रहे, हुई कँटीली मेड़।। पेड़ सभी है काम के, रखना इनका ध्यान।दीर्घ आयु होता सखे, वट का पेड़ महान।। पुत्र सरीखे पालिए, सादर तात … Read more

गोवर्धन विषय पर दोहे -बाबू लाल शर्मा

गोवर्धन विषय पर दोहे -बाबू लाल शर्मा (दोहा छंद)गिरि गोवर्धन नख धरे, करे वृष्टि से रक्ष!दिए चुनौती इन्द्र को, जन गोधन के पक्ष!! महिमा हुई पहाड़ की, करे परिक्रम लोग!मानस गंगा पावनी, गिरिधर पूजन भोग!! द्वापर में संदेश वर, दिया कृष्ण भगवान!गो,गोधन पशुधन भले, कृषि किसान सम्मान!! भारत कृषक प्रधान है, गोधन वर धन मान!कृष्ण … Read more

बापूजी पर दोहे -बाबू लाल शर्मा

mahatma gandhi

बापूजी पर दोहे -बाबू लाल शर्मा भारत ने थी ली पहन, गुलामियत जंजीर।थी अंग्रेज़ी क्रूरता, मरे वतन के वीर।। काले पानी की सजा, फाँसी हाँसी खेल।गोली गाली साथ ही , भर देते थे जेल।। याद करे जब देश वह, जलियाँवाला बाग।कायर डायर क्रूर ने, खेला खूनी फाग।। मोहन, मोहन दास बन, मानो जन्मे देश।पढ़लिख बने … Read more

सैनिक व सिपाही को अर्पित दोहा पच्चीसी

सैनिक व सिपाही को अर्पित दोहा पच्चीसी १बलिदानी पोशाक है, सैन्य पुलिस परिधान।खाकी वर्दी मातृ भू, नमन शहादत मान।। २खाकी वर्दी गर्व से, रखना स्व अभिमान।रक्षण गुरुतर भार है, तुमसे देश महान।। ३सत्ता शासन स्थिर नहीं, है स्थिर सैनिक शान।देश विकासी स्तंभ है, सेना पुलिस समान।। ४देश धरा अरु धर्म हित, मरते वीर सपूत।मातृभूमि मर्याद … Read more