गुरु वंदना – डिजेन्द्र कुर्रे कोहिनूर

गुरु वंदना नित्य करूँ मैं वंदना, गुरुवर को कर जोर।पाऊँ चरणों में जगह , होकर भाव विभोर।। मात-पिता भगवान हैं, करना वंदन रोज।इन देवों को छोड़कर, करते हो क्या खोज? जिनके आशीर्वाद से , हुआ सफल हर काम।करता हूँ नित वंदना, मात-पिता के नाम।। धरती माँ की वंदना, यह ही जग में सार।सबको सम ही … Read more

प्रेम भाव पर हिंदी कविता -डिजेन्द्र कुर्रे कोहिनूर

प्रेम भाव पर हिंदी कविता शांत सरोवर में सदा , खिलते सुख के फूल।क्रोध जलन से कब बना,जीवन यह अनुकूल।। मानवता के भाव का,समझ गया जो मर्म।उनके पावन कर्म से , रहता दूर अधर्म।। मन में हो विश्वास जब,जीवन बनता स्वर्ग।शुभकर मन के भाव से , बढ़े जगत संसर्ग।। मन को शीतल ही करें , … Read more

प्रकृति विषय पर दोहे

doha sangrah

प्रकृति विषय पर दोहे सूरज की लाली करें,इस जग का आलोक।तन मन में ऊर्जा भरे,हरे हृदय का शोक।। ओस मोतियन बूँद ने,छटा बनाकर धन्य।तृण-तृण में शोभित हुई,जैसे द्रव्य अनन्य।। डाल-डाल में तेज है, पात-पात में ओज।शुद्ध पवन पाता जगत,हरियाली में रोज।। उड़कर धुंध प्रभात में,भू पर शीत बिखेर।पुण्य मनोरम दृश्य से,लिया जगत को घेर।। झूम … Read more

कोहिनूर की आभा – डिजेन्द्र कुर्रे कोहिनूर

कोहिनूर की आभा – डिजेन्द्र कुर्रे कोहिनूर सत्यनाम के ज्ञान का,करो हृदय में ध्यान। गुरुवर की पाकर कृपा,बनना परम महान।। सत्य वचन नित बोलिए,यह मिश्री का घोल।तन मन को पावन करें,अनुपम मीठे बोल।। पावनता मन में रहे , फैले ज्ञान प्रकाश।दर्पण सम स्वछन्द हो,जीवन का आकाश।। बढ़ जाता मन भाव में,सहज प्रखर विश्वास।जब करते हम … Read more

संविधान पर कुंडलियाँ- डिजेन्द्र कुर्रे

संविधान पर कुंडलियाँ- डिजेन्द्र कुर्रे साधक थे संविधान के,रचकर नव इतिहास।संविधान के नाम से,जाहिर जिनका नाम। जाहिर जिनका नाम,हिंद ही सब कुछ माने।बढ़े देश का मान ,मर्म यह ही पहचाने । कह डिजेन्द्र करजोरि,नहीं अब कोई बाधक।देश किया मजबूत,भारती का बन साधक।। डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”