Tag #गीता उपाध्याय’मंजरी’

नाम:-सुश्री गीता उपाध्याय
पिता:-स्व.श्रीगणेशराम उपाध्याय
माता:-श्रीमती कुसुम मंजरी उपाध्याय
कार्यक्षेत्र:-शासकीय प्राथमिक शाला में प्रधान पाठिका पद पर कार्यरत।
साहित्य यात्रा:-किशोरावस्था से मुक्त छंद विधा पर कविता, भक्तिगीत ,देशभक्तिगीत आदि लेखन,स्थानीय पत्र पत्रिकाओं में व वार्षिक अंको में यदा-कदा प्रकाशित विभागीय पत्रिकाओं में प्रकाशित, आकाशवाणी अम्बिकापुर व रायगढ़ केंद्रों से भी पूर्व में रचना प्रसारित ।वर्तमान में विभिन्न छन्द विधाआधारित लेखन एवं मुक्क्त छन्दपद्य लेखन कार्य निरंतर जारी है।

प्रकाशित पुस्तक:- 118 स्वरचित भक्तिगीतों रचनाओं का संग्रह”*भक्ति गीतांजलि* विगत वर्ष 2018 में प्रकाशित। लेखन आज पर्यंत जारी है।
सम्मान:-विभिन्न संस्थाओं द्वारा 5 बार उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान एवं अनेक साहित्यिक मंचों द्वारा विभिन्न सम्मान प्राप्त।
संपर्क:-
पता:-
सुश्री गीता उपाध्याय
श्री गणेश कुसुम कुंज
शंकर नगर धांगरदीपा ,रायगढ़(छ.ग.)
वार्ड क्र.2
पिन कोड न.:-496001
मोबाईल न.:-9098075944

छतीसगढ़ दाई

छतीसगढ़ दाई चंदन समान माटीनदिया पहाड़ घाटीछतीसगढ़ दाई। लहर- लहर खेतीहरियर हीरा मोतीजिहाँ बाजे रांपा-गैंतीगावै गीत भौजाई। भोजली सुआ के गीतपांयरी चूरी संगीतसरस हे मनमीतसबो ल हे सुहाई। नांगमोरी,कंठा, ढारकरधन, कलदारपैंरी,बहुँटा श्रृंगारपहिरे बूढ़ीदाई । हरेली हे, तीजा ,पोराठेठरी खुरमी बरानांगपुरी…

हिन्दी कुण्डलियाँ: ऊर्जा संरक्षण

हिन्दी कुण्डलियाँ: ऊर्जा संरक्षण (1)ऊर्जा सदा बचाइये,सीमित यह भंडार।धरती का वरदान है,जग विकासआधार। जग विकास आधार ,समझ कर इसे खरचना।बढ़े नहीं यह और ,सोचकर सभी बरतना। गीता सुन यह बात,चले सब दिन कल-पुर्जा।होगा संभव तभी,रहे जब रक्षित ऊर्जा।। (2)सूरज ऊर्जा…

Happy Republic day

भारत गर्वित आज पर्व गणतंत्र हमारा

भारत गर्वित आज पर्व गणतंत्र हमारा धरा हरित नभ श्वेत, सूर्य केसरिया बाना।सज्जित शुभ परिवेश,लगे है सुभग सुहाना।।धरे तिरंगा वेश, प्रकृति सुख स्वर्ग लजाती।पावन भारत देश, सुखद संस्कृति जन भाती।। भारत गर्वित आज,पर्व गणतंत्र हमारा।फहरा ध्वज आकाश,तिरंगा सबसे प्यारा।।केसरिया है…

द्वादश ज्योतिर्लिंग

प्रस्तुत कविता शिव द्वादश ज्योतिर्लिंग पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

ऊर्जा संरक्षण 

ऊर्जा संरक्षण           (1)ऊर्जा सदा बचाइये,सीमित यह भंडार।धरती का वरदान है,जग विकासआधार। जग विकास आधार ,समझ कर इसे खरचना।बढ़े नहीं यह और ,सोचकर सभी बरतना। गीता सुन यह बात,चले सब दिन कल-पुर्जा।होगा संभव तभी,रहे जब रक्षित…

छतीसगढ़ दाई

छतीसगढ़ दाई गमकत  हे  संगाती     चंदन समान माटी        नदिया पहाड़ घाटी                    छतीसगढ़ दाई। लहर- लहर खेती     हरियर हीरा मोती         जिहाँ…

स्वामी विवेकानंद

युवा वर्ग आगे बढ़ें

युवा वर्ग आगे बढ़ें छन्द – मनहरण घनाक्षरी  युवा वर्ग आगे बढ़ें, उन्नति की सीढ़ी चढ़ें,       नूतन समाज  गढ़ें,               एकता बनाइये।  नूतन विचार लिए,   कर्तव्यों का भार लिए,         श्रम अंगीकार…

वर्षा ऋतु (मनहरण घनाक्षरी) -सुश्री गीता उपाध्याय

विषय :- वर्षा ऋतु
विधा:-मनहरण घनाक्षरी
------------------------------------------------------------
सजल सघन बन,
उमड़ घुमड़ घन,
बिखर गगन भर-
देखो सखी आ गया।

घरर घरर घर,
गरज गरज कर,
तमक चमक हर-
दिशा चमका गया।

झरर झरर झर,
धरर धरर धर,
तरर बतर कर,
जल बरसा गया।

सरर सरर सर,
फरर फरर फर,
इधर उधर कर,
सबको भिगा गया।

दादुर टरर टर,
हर्ष पूर्ण स्वर भर
इत उत कूद कर,
खुशी दरसा गया।

सूखी माटी भीग चली,
बह गयी गली गली,
नार नदी सब बहे,
सर सरसा गया।

हल बैल बीज लिए,
खेत में कृषक गए,
नव गीत छेड़ रहे,
उमंग समा गया।

धरती सरस पगी ,
ममता छलक लगी,
बीज नव जीवन पा,
उठ कर आ गया।

---सुश्री गीता उपाध्याय
रायगढ़ छत्तीसगढ़