करें मातु तुझको नमन शारदे
छंद —- शक्ति
( मात्रिक )आदि लघु ,
पदांत — 212 ,111
1,6,11,16 वीं मात्रा लघु
( 122-122-122-12 )
नाम:-सुश्री गीता उपाध्याय
पिता:-स्व.श्रीगणेशराम उपाध्याय
माता:-श्रीमती कुसुम मंजरी उपाध्याय
कार्यक्षेत्र:-शासकीय प्राथमिक शाला में प्रधान पाठिका पद पर कार्यरत।
साहित्य यात्रा:-किशोरावस्था से मुक्त छंद विधा पर कविता, भक्तिगीत ,देशभक्तिगीत आदि लेखन,स्थानीय पत्र पत्रिकाओं में व वार्षिक अंको में यदा-कदा प्रकाशित विभागीय पत्रिकाओं में प्रकाशित, आकाशवाणी अम्बिकापुर व रायगढ़ केंद्रों से भी पूर्व में रचना प्रसारित ।वर्तमान में विभिन्न छन्द विधाआधारित लेखन एवं मुक्क्त छन्दपद्य लेखन कार्य निरंतर जारी है।
प्रकाशित पुस्तक:- 118 स्वरचित भक्तिगीतों रचनाओं का संग्रह”*भक्ति गीतांजलि* विगत वर्ष 2018 में प्रकाशित। लेखन आज पर्यंत जारी है।
सम्मान:-विभिन्न संस्थाओं द्वारा 5 बार उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान एवं अनेक साहित्यिक मंचों द्वारा विभिन्न सम्मान प्राप्त।
संपर्क:-
पता:-
सुश्री गीता उपाध्याय
श्री गणेश कुसुम कुंज
शंकर नगर धांगरदीपा ,रायगढ़(छ.ग.)
वार्ड क्र.2
पिन कोड न.:-496001
मोबाईल न.:-9098075944
छंद —- शक्ति
( मात्रिक )आदि लघु ,
पदांत — 212 ,111
1,6,11,16 वीं मात्रा लघु
( 122-122-122-12 )
गुरूपूर्णिमा विशेष दोहे करूँ नमन गुरुदेव को,जिनसे मिलता ज्ञान।सिर पर आशीर्वाद का,सदा दीजिए दान।।१।।*****हरि गुरु भेद न मानिए,दोनों एक समान।कुछ गुरु हैं घंटाल भी,कर लेना पहचान।।२।।*****प्रथम गुरू माता सुनो,दूजे जो दें ज्ञान।तीजे दीक्षा देत जो,जग गुरु सीख सुजान।।३।।*****ज्ञान गुरू देकर करें,शिष्यों का कल्याण।गुरु सेवा से शिष्य भी,होते ब्रम्ह समान।।४।।*****गुरू परीक्षा लेत हैं,शिष्य न जो घबराय।श्रद्धा … Read more
पृथ्वी दिवस: धरती हमारी माँ हमको दुलारती हैधरती हमारी माँ।आँचल पसारती हैधरती हमारी माँ। बचपन मे मिट्टी खायीफिर हम बड़े हुए।जब पाँव इसने थामातब हम खड़े हुए।ममता ही वारती हैधरती हमारी माँ।हमको दुलारती हैधरती हमारी माँ। तितली के पीछे भागेकलियाँ चुने भी हम।गोदी में इसकी खेले,दौड़े,गिरे भी हम।भूलें सुधारती हैधरती हमारी माँ।हमको दुलारती हैधरती हमारी … Read more
युवा वर्ग आगे बढ़ें छन्द – मनहरण घनाक्षरी युवा वर्ग आगे बढ़ें,उन्नति की सीढ़ी चढ़ें,नूतन समाज गढ़ें,एकता बनाइये। नूतन विचार लिए,कर्तव्यों का भार लिए,श्रम अंगीकार किए,कदम बढ़ाइए। आँधियाँ हैं सीमा पार,काँधे पे है देश भार,राष्ट्र का करें उद्धार,वक्त पहचानिए। बहकावे में न आयें,शिक्षा श्रम अपनायें,राष्ट्र संपत्ति बचायें,आग न लगाइए। ✍सुश्री गीता उपाध्याय रायगढ़ (छत्तीसगढ़)