सर्वोत्तम आहार/ जागृति शर्मा
शाकाहार -सर्वोत्तम आहार
हैं प्रकृति का अनुपम उपहार ।।
न करों हिंसा
अपनाओं शाकाहार
पाओं सात्विक आहार।।
जैसा खाओंगें अन्न
वैसा होगा मन
कह गये गुणीजन ।।
शाकाहार की ओर बढो़
न प्राणियों से तुम दुरव्यवहार करों,
प्रकृति संरक्षण करो
पारिस्थितिक संतुलन बनाये रखों।।
हे मानव ! तुम क्यों दानव
बन सर्वाहारी बन जाते,
क्यों जीवों की जान लेते..।
हे मानव ! तुम मानव ही बने रहो,
“जीओं और जीने दों” का सिद्धांत
याद रखों ।।
गुणों से भरपुर सोया बड़ी खाओं
अंडे से ज्यादा प्रोटीन पाओं।।
बादाम से तुम विटामिन E पाओं
क्यों तुम व्यर्थ मांस -मछली खाओं।।
शाकाहार -सर्वोत्तम आहार
हैं प्रकृति का अनुपम उपहार ।।
©जागृति शर्मा,
छत्तीसगढ़।