प्रातःकाल पर कविता

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प्रातःकाल पर कविता श्याम जलद की ओढचुनरिया प्राची मुस्काई।ऊषा भी अवगुण्ठन मेंरंगों संग नहीं आ पाई। सोई हुई बालरवि किरणेअर्ध निमीलित अलसाई।छितराये बदरा संग खेलेभुवन भास्कर छवि छाई। नीड़ छोड़  चली अब तोपंछियों की सुरमई पाँत।हर मौसम में  रहें कर्मरतसमझा जाती है यह बात। पुष्पा शर्मा “कुसुम”

भोर पर कविता -रेखराम साहू

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भोर पर कविता –रेखराम साहू सत्य का दर्शन हुआ तो भोर है ,प्रेम अनुगत मन हुआ तो भोर है। सुप्त है संवेदना तो है निशा ,जागरण पावन हुआ तो भोर है। द्वेष की दावाग्नि धधकी हो वहाँ,स्नेह का सावन हुआ तो भोर है। त्याग जड़ता,देश-कालोचित जहाँ,कर्म-तीर्थाटन हुआ तो भोर है। क्षुद्र सीमा तोड़,धरती घर हुई … Read more

भोर का तारा एक आशावादी कविता

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भोर का तारा पद्ममुख पंडा के द्वारा रचित आशावादी कविता है जिसमें उन्होंने प्रकृति का बेहद सुंदर ढंग से वर्णन किया है। साथ में यह भी बताया है कि किस तरह से रात्रि के बाद दिवस हो रहा है अभिप्राय दुख के बाद सुख का आगमन हो रहा है। भोर का तारा. एक आशावादी कविता … Read more

प्रात: वन्दन – हरीश बिष्ट

जन-जन  की रक्षा है  करती |भक्तजनों  के दुख भी हरती ||ऊँचे   पर्वत   माँ   का   डेरा |माँ   करती   है  वहीं  बसेरा || भक्त   पुकारे   दौड़ी   आती |दुष्टजनों   को   धूल  चटाती ||भक्तों   की करती  रखवाली |जगजननी  माँ  खप्परवाली || भक्त सभी जयकार लगाते |चरणों में नित शीश नवाते ||मनोकामना    पूरी   करती |खुशियों से माँ झोली भरती || … Read more

प्रात: वन्दन – हरीश बिष्ठ शतदल

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प्रात: वन्दन करे अमंगल को मंगल, पवनपुत्र हनुमान |सम्मुख उनके आने से , डरें सभी शैतान || हृदय बसे सिया-राम जी, श्रद्धा-भक्ति अपार |शिवजी के बजरंगबली , जग में रूद्र अवतार || संकट सारे भक्तों के , पल में देते टार |भजे सिया अरु राम संग़, यह सारा संसार || भक्तों में सर्वश्रेष्ठ हैं , … Read more