मनीभाई नवरत्न के सेदोका
मनीभाई नवरत्न के सेदोका सेदोका – पंछी की दिशा पंछी की दिशाबता रही है सदाहोने को महानिशा। लौट आओ रेघर से जाने वालोंमंजिल बुला रही। ðमनीभाई नवरत्न समुद्री हवा समुद्री हवाएक होके बूंदों सेबारिश की तीरों सेबरस रहीमदमस्त गिरि कोधीरे से घिस रही। ðमनीभाई नवरत्न जूते बिखरे हुएकई अकेले जूतेहमसफ़र ढूँढे।पुछता नहींकोई हाल उनकीसाथी न हो … Read more