कबाड़ पर कविता -उपमेंद्र सक्सेना
कबाड़ पर कविता -उपमेंद्र सक्सेना सब हुआ कबाड़ था,भाग्य में पछाड़ थारास्ता उजाड़ था, सामने पहाड़ था। छल- कपट हुआ यहाँ, सो गए सभी सपनकर दिया गया दहन, मिल सका नहीं कफ़नपास के बबूल ने ,दी जिसे बहुत चुभनबेबसी दिखा रही, है यहाँ विचित्र फनस्वार्थ के कगार पर, त्याग जब गया मचललोभ- लालसा बढ़ी, लोग … Read more