वाणी है इतनी प्यारी, कानों में रस घोल दे।।
पाये जो गुरु से दीक्षा, उसके भाग्य जागते।।
ध्यान में उनके खोकेेे, त्यागो समस्त वासना।।
गुरु-विश्वास का खोना, जग-सन्ताप पालना।।
हरती विपदा सारी, मीठी मधुर ताड़ना।।
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अनुष्टुप् छंद (विधान)
(3) × × × × । ऽ ऽ ऽ, (4) × × × × । ऽ । ऽ
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया