चहचहाती गौरैया

चहचहाती गौरैया चहचहाती गौरैयामुंडेर में बैठअपनी घोसला बनाती है,चार दाना खाती हैचु चु की आवाज करती है,घोसले में बैठेनन्ही चिड़िया के लिएचोंच में दबाकरदाना लाती है,रंगीन दुनिया मेंअपनी परवाज लेकररंग बिखरेती है,स्वछंद आकाश मेंअपनी उड़ान भरती है,न कोई सीमान कोई बंधनसभी मुल्क के लाड़लीउड़ान से बन जाती है,पक्षी तो हैगौरैया की उड़ानसब को भाँति है,घर … Read more

होली के बहाने ओ मोहना – केवरा यदु

Radha kishna holi

होली के बहाने ओ मोहना – केवरा यदु होली के बहाने  ओ मोहनारंग  लगाने की कोशिश न करना । बड़ा छलिया है तू ओ रंग रसिया ।दिल चुराने की कोशिश न करना । बहुत  भोले भाले  बनते  कान्हाअब  सताने की कोशिश न करना। अभी आई हूँ कोरी चुनर ओढ़ केतुम  रंगाने की कोशिश न करना। … Read more

जल संकट पर कविता

जल संकट पर कविता

विश्व जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व के सभी देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है साथ ही जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करना है। जल संकट पर कविता पानी मत बर्बाद कर ,          बूँद – बूँद अनमोल |प्यासे ही जो मर गये … Read more

नास्तिकता पर कविता

नास्तिकता पर कविता हमें पता नहींपर बढ़ रहे हैंधीरे धीरेनास्तिकता की ओरत्याग रहे हैंसंस्कारों को,आडम्बरों कोसमझ रहे हैंहकीकतअच्छा है।परजताने कोबताते हैंमैं हूँ आस्तिक।फिर भीछोंड रहे हैंहम ताबीजमजहबी टोपीनामकरण रस्मझालर उतरवानाबहुत कुछ।बढ़ रहे हैंधीरे धीरेनास्तिकता की ओरक्योंकिनास्तिकता हीवैज्ञानिकता है। राजकिशोर धिरहीकविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

तीन कविताएं

तीन कविताएं                         1बाहें फैलायेमांग रही दुआएँ,भूल गया क्यामेरी वफ़ाएँ!ओ निर्मोही मेघ!इतना ना तरसा,तप रही तेरी वसुधाअब तो जल बरसा!                        2बूंद-बूंद को अवनी तरसे,अम्बर फिरभी ना बरसे!प्यासा पथिक,पनघट प्यासाप्यासा फिरा, प्यासे डगर से!प्यासी अँखिया पता पूछे,पानी का प्यासे अधर से!बूंद-बूंद को अवनी तरसेअम्बर फिरभी ना बरसे!                      3प्रदूषण से कराहती,शांत हो गई है!कहते हैं … Read more