संवेदना के सुर बजे जब वेदना के तार पर
संवेदना के सुर बजे जब वेदना के तार पर संवेदना के सुर बजे जब वेदना के तार पर।वाल्मिकी की संवेदना जगी आहत पक्षी चित्कार पर।।१।।प्रथम कविता प्रकट भयी खुला साहित्य द्वार पर।कविता का नव सृजन पैनी कलम की धार पर।।२।।भिगी पलके अश्रु अक्षर शब्द पिरोये काव्य पर ।रामायण का श्रीगणेश साहित्य अमर संसार पर।।३।।मर्म हिय … Read more