Month April 2020

पानी पर कविता

पानी पर कविता क्षिति जल पावक नभ पवन,जीवन ‘विज्ञ’ सतोल।जीवन का आधार वर,पानी है अनमोल।। मेघपुष्प ,पानी सलिल, आप: पाथ: तोय।*विज्ञ* वन्दना वरुण की, निर्मल मति दे मोय।। जनहित जलहित देशहित, जागरूक हो *विज्ञ*।जीवन के आसार तब, जल रक्षार्थ प्रतिज्ञ।।…

mahapurush

जलियांवाला बाग की याद में कविता

जलियांवाला बाग की याद में कविता जलियांवाला बाग के अमर शहीदों को सलाम।अमर कुर्बानी का पावन अमृतसर शुभ धाम।।तड़ातड़ चली थी निहत्थों पर अनगिनत गोलियां।कसूर था बस बोल रहे थे इंकलाब की बोलियाँ।।जनरल डायर की बर्बरता की चली थी अंधाधुंध…

धीरे धीरे पर कविता-मनोज बाथरे

धीरे धीरे पर कविता बिखरती हुई जिंदगीवीरान सी राहेंसमय गुजर रहा हैधीरे धीरेहम अपने अस्तित्व कीतलाश मेंनिकल पड़े उनराहों परमन विचलित हैउदास हैफिर भी कर रहे हैंमंजिलें तलाश हमधीरे धीरे Post Views: 50

ख्याल पर कविता

ख्याल पर कविता पहली रोटीगाय को दीअंतिम रोटी कुत्ते कोकिड़नाल कोसतनजा भी डाल आयामछलियों कोआटा भी खिलायाश्राद्ध में कौवों को भीभौज करायानाग पंचमी परनाग को भीदूध पिलायाभुखमरी के शिकारवंचितों काख्याल न आयानिवाले केअभाव में जिन्होंनेजीवन गंवाया –विनोद सिल्ला© Post Views:…

मजबूरी पर कविता-मनोज बाथरे

मजबूरी पर कविता मजबूरी इंसान कोक्या से क्याबना देती हैकही ऊपर उठाती हैतो कहीझुका देती हैइन्ही के चलतेइंसान अपनीमजबूरी के चलतेएकदम हताश होजाता हैपर इससे निकलनेके लिएप्रयास बेहद जरूरी हैमनोज बाथरे चीचली Post Views: 53

खुद की तलाश पर कविता-मनोज बाथरे

खुद की तलाश पर कविता जिंदगी में भीकैसे कैसेमोड़ आते हैंजिनमें कुछ लोगतो अपनीअलग पहचानबना लेते हैंऔर कुछ लोगगुमनामी के अंधेरों मेंको जाते हैंऔर फिरखुद की तलाशकरतें हैं।। Post Views: 50

गरीबी पर कविता (17 अक्टूबर गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर कविता )

गरीबी पर कविता गरीबी तू इतना रूलाया न कर हमेंजो मर गये तो, कहाँ पे तेरा आसरा है?मज़ाक उड़ाया सबके सामने कुछ यूँवाह भाई! अमीरों सा तेरा भी नखरा है? ?मनीभाई नवरत्न छत्तीसगढ़ Post Views: 28

दौसा की सैर

दौसा की सैर ??आइए आपकोहमारे यहाँ दौसा की सैरकरवादें ??मेरा जिला,मेरी बोली,मेरा गाँव ,संस्कृति,रीति,पर्यटन,इतिहास,फसलसब से रुबरू…..??..तो आइए??.? *दौसा दर्शन* ?बी.एल.शर्मा—-?—- आओ सैर कराँ दौसा की,नामी बड़गूजर धौंसा की।सूप सो किल्लो डूँगर पै।नीला कंठाँ दौसा की।गाँवा कस्बाअर् शहराँ की,देवाँ नगरी दौसा…

खामोशियों पर कविता

खामोशियों पर कविता अपनी भावनाओं मेंख़ामोश विचारों सेरखकरमन को दूर देखामौन दरख्तो कोसिसकते हुए देखाहृदय से बिछुड़ती हुईभावनाओं की भावनाको देखाजो तलाश रही थीउन खामोशियों मेंअपनों को।। Post Views: 45

जाति पर कविता

जाति पर कविता जातिजाती ही नहींबहुत हैं गहरीइसकी जड़ेंजिसे नितसींचा जाता हैउन लोगों द्वाराजिनकी कुर्सी कोमिलता है स्थायित्वजाति सेजिनका चलता है व्यवसायजाति सेजिन्हें मिला है ऊंचा रुतबाजाति सेजिन्हें परजीवी बनायाजाति नेवे चाहते हैंउनकी बनी रहे सदैवजाति आधारित श्रेष्ठताभले ही इससेकिसी…