आनंद पर कविता

आनंद पर कविता मुझे है पूरा विश्वासनहीं है असली आनंदमठों-आश्रमों वअन्य धर्म-स्थलों में इन सब के प्रभारीलालायित हैंलोकसभा-राज्यसभाया फिर विधानसभा मेंजाने को मुझे है पूरा विश्वासअसली आनंदलोकसभा-राज्यसभाया फिर विधानसभामें ही है इसलिए हीयोगी, साध्वी वअन्य मठाधीश हैं टिकटार्थी संसद और विधानसभाओं मेंकीर्तन होने केप्रबल आसार हैं -विनोद सिल्ला©

लिखना पर कविता

लिखना पर कविता क्या आप कविता लिखना चाहते हैं ?यदि हाँ तो दो विकल्प है आपके पास पहला विकल्प यह कि–उनके लिए कविताएं लिखनाएक बड़ी चुनौती लेना हैइसमें कठिन संघर्ष और खतरों के अंदेशे भी हैं बहुत सारे दूसरा विकल्प यह कि–उनके लिए कविता लिखनाअवसरों के दरवाज़े खोलना हैइसमें पुरस्कार और सम्मान की संभावनाएं भी … Read more

बेपरवाह लोग पर कविता

बेपरवाह लोग पर कविता ये उन लोगों की बातें हैंजो लॉकडाउन,कर्फ़्यू, धारा-144जैसे बंदिशों से बिलकुल बेपरवाह हैं जो हजारों की तादात मेंकभी आनन्द विहार बस स्टेंड दिल्लीमेंयकायक जुट जाते हैंतो कभी बांद्रा रेल्वे स्टेशन मुम्बई मेंअचानक इकट्ठे हो जाते हैं ये कोई एकजुट संगठित ताकत नहीं हैकिसी सोची-समझी साज़िश का हिस्सा भी नहीं हैइनके कोई … Read more

कोरोना चालीसा पर कविता

कोरोना चालीसा पर कविता नर रसना के स्वाद का, कोरोना परिणाम।चमगादड़ के सूप का, मचा हुआ कोहराम।।१।। करता कोई एक है, भरता ये संसार।घूम -घूम वो नर करें, व्याधि का संचार।।२।। *चौपाइयाँ* कैसे कटे दिवस हे भाई ।लगता जीव लता मुरझाई।।१।। संकट खड़ा करें हरजाई ।कैसे इसकी हो भरपाई।।२।। महा शाप ये इस सृष्टि का … Read more

इंसान पर कविता

इंसान पर कविता आदिकाल में मानवनहीं था क्लीन-शेवडनहीं करता था कंघीलगता होगा जटाओं मेंभयावह-असभ्यलेकिन वह थाकहीं अधिक सभ्यआज के क्लीन-शेवडफ्रैंचकट या कंघी किएइंसानों से नहीं था वहव्याभिचार में संलिप्तनहीं था वह भ्रष्टाचारीनहीं करता था कालाबाजारीमुक्त था जाति-धर्म सेमुक्त था गोत्र-विवादों सेमुक्त था फालतू केफसादों सेवह था मात्र इंसान –विनोद सिल्ला©