ब्रजधाम पर कविता- रेखराम साहू के दोहे

ब्रजधाम पर कविता मधुवन काटा जा रहा, रोता है ब्रजधाम।गूँगी गाएँ गोपियाँ, छोड़ गए जब श्याम ।। कालिंदी कलुषित हुई, क्रंदन करे कदंब।नंद नहीं,आनंद में, आहत यशुदा अंब।। घर,आँगन,पनघट,गली,और दुखी हर द्वार ।पीपल,बरगद,नीम की,खोई कहाँ कतार ।। वृद्ध आम को याद है, कोयलिया की कूक।अमरैया कलकंठिनी,मुरझाई मन,मूक।। तुलसी के भी प्राण में, उग आए हैं … Read more

काम बोलता है पर कविता

काम बोलता है पर कविता वह बचपन से हीकुछ करने से पहलेअपने आसपास के लोगों सेबार-बार पूछता था…यह कर लूं ? …वह कर लूं ? लोग उन्हें हर बारचुप करा देते थेमाँ से पूछा-पिता से पूछादादा-दादी और भाई-बहनों से पूछापूछा पूरे परिवार सेसारे सगे संबंधियों सेदोस्त-यार और शिक्षकों से भी पूछा किसी ने भी उसे … Read more

मानसिकता पर कविता

मानसिकता पर कविता आज सब कुछ बदल चुका हैमसलन खान-पान,वेषभूषा,रहन-सहन औरकुछ-कुछ भाषा और बोली भी आज समाज की पुरानी विसंगतियां, पुराने अंधविश्वासऔर पुरानी रूढ़ियाँलगभग गुज़रे ज़माने की बात हो गई हैआज बदले हुए इस युग में-समाज मेंअब वे बिलकुल भी टिक नहीं पाती अब काम पर जाते हुएबिल्ली का रास्ता काट जानाबिलकुल अशुभ नहीं माना … Read more

ग्रहों पर कविता

ग्रहों पर कविता तुम जो हो जैसे होउतना ही होना तुम्हारे लिए पर्याप्त नहीं लग रहा हैं तुम जो भी हो उसमें और ‘होने’ के लिएकुछ लोगों को और भी जोड़ना चाहते होबहुत सारे या अनगिनत व्यक्तियों को अपने व्यक्तित्व में लाना चाहते होताकि तुम अपने को साबित कर सकोइस फेर में असंख्य व्यक्तियों से … Read more

जीत पर कविता

जीत पर कविता जब तक स्वास है ,करना अभ्यास है ।चित से प्रयास करें ,पूरी हर आस हो। परिश्रमी सच्चा जो,सफल रहे सदा वो।लक्ष्य मन में रखें,मंजिल ना दूर हो। बड़ों का आदर जहां ,सुस्वर्ग होता वहां।वंदन मन से करो ,जड़ों से जुड़े रहो । शपथ आज लेनी है ,विटप सम धीर हो ।कदम ना … Read more