ब्रजधाम पर कविता- रेखराम साहू के दोहे
ब्रजधाम पर कविता मधुवन काटा जा रहा, रोता है ब्रजधाम।गूँगी गाएँ गोपियाँ, छोड़ गए जब श्याम ।। कालिंदी कलुषित हुई, क्रंदन करे कदंब।नंद नहीं,आनंद में, आहत यशुदा अंब।। घर,आँगन,पनघट,गली,और दुखी हर द्वार ।पीपल,बरगद,नीम की,खोई कहाँ कतार ।। वृद्ध आम को याद है, कोयलिया की कूक।अमरैया कलकंठिनी,मुरझाई मन,मूक।। तुलसी के भी प्राण में, उग आए हैं … Read more