बेखुदी की जिंदगी- मनीभाई नवरत्न

बेखुदी की जिंदगी… बेखुदी की जिंदगी हम जिया करते हैं। शायद इसलिए हम पिया करते हैं । रही सही उम्मीदें तुझ पर अब जाती रही।ना समझ बन गए हैं कोई सोच आती नहीं ।मिली तुझसे जख्मों को हम सीया करते हैं । बेखुदी की जिंदगी… बेशुमार दौलत क्या? हमको पता नहीं ।बेपनाह मोहब्बत क्या ?तुमको … Read more

मुझे तेरी हर बातें याद आते हैं- मनीभाई नवरत्न

मुझे तेरी हर बातें याद आते हैं मुझे तेरी हर बातें याद आते हैं।तुमसे हुए हर मुलाकातें सताते हैं ।क्यों उस दिन अनजान रहा ,तेरे चाहत का ना भान रहा ।अब जब पता है तू ही लापता है , कैसे मिलू तुझे?सोचकर हम घबराते हैं।मुझे तेरी हर बातें …. बीते कल में चेहरा तेरा खोजू,आजकल … Read more

हे दीन दयालु हे दीनानाथ- मनीभाई नवरत्न

हे दीन दयालु हे दीनानाथहे दीन दयालु, हे दीनानाथ !दीन की रक्षा करलें मांगे वरदान। हे कृपालु ,हे भोलेनाथ! हे कृपालु , हे भोलेनाथ!हीन की रक्षा कर ले मांगे वरदान । ऊंची चोटी पर तेरा वास है ।हर तरफ शांति, उल्लास है। छायी रहे ऐसे सदा, अमन से ये जहान। मांगे वरदान। हे दीन दयालु…. … Read more

मैं इंसान हूं मेरे भी अरमान है- मनीभाई नवरत्न

मैं इंसान हूं मेरे भी अरमान है- मनीभाई नवरत्न मैं इंसान हूं मेरे भी अरमान है ।जैसे तेरी पहचान वैसे मेरी पहचान है। जो तू सोचता है वह मेरी सोच है ।जो तू खोजता है वह मेरी खोज है।इस बात पर भला क्यों अनजान है ? मैं इंसान हूं….जब मैं राहों से गुजरता हूं तु … Read more

यह कैसा लोकतंत्र – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार “अंजुम”

इस कविता में मानव के अनैतिक व्यवहार का वर्णन मिलता है जिसने उसे मानव से दानव की श्रेणी में ला खड़ा किया है |
यह कैसा लोकतंत्र – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार “अंजुम”