धरती माँ तुम पावन थीं – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
इस कविता में धरती की पावनता को बनाए रखने के लिए प्रेरित करने का एक प्रयास किया गया है |
धरती माँ तुम पावन थीं - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
इस कविता में धरती की पावनता को बनाए रखने के लिए प्रेरित करने का एक प्रयास किया गया है |
धरती माँ तुम पावन थीं - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
इस रचना में गणेश जी की वंदना की गयी है |
गणेश वंदना - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
इस रचना में कवि असमंजस की स्थिति में है | उसे विषय ही नहीं सूझ रहा जिस पर वह अपने विचारों को अपनी कलम के माध्यम से साकार कर सके |
कोरा कागज़ - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
भ्रम
प्रेरणा से
दिन गुज़र गए बातें रह गई
वन्दनवार:भारतीय के शत्रु हैं भारतीय ही आज =================गुरु की आज्ञा मानकर, केरल की छवि देख। रहने वालों पर लिखे, सबने सुन्दर लेख। १।सबके लेखों में मिले, जीवन सुखमय गान। शंकर के इस लेख को, मिली अलग पहचान।२। भारतीय हैं मानते,…
इस रचना को झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को समर्पित किया गया है इसमें उनकी चारित्रिक विशेषताओं की झलक मिलती है |झाँसी की रानी- एक श्रद्धांजलि - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
ये तो बस मूर्खों की पीढ़ी बनायेगा ये जानता नहीं अपनी मंजिल, लक्ष्य के लिए कैसे सीढ़ी बनायेगा ?मूर्ख बनाने में शातिर महाप्रभु, ये तो बस मूर्खों की पीढ़ी बनायेगा ।। इसे स्वयं को जो भी अच्छा लगे, उसे सत्य…
हिन्दू नव वर्ष और चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ