मां तू शक्ति स्वरूपा है

प्रस्तुत कविता मां दुर्गा के विविध रूप को आधार बनाकर लिखी गई है। जिसे चारूमित्रा ने लिखी है।

अकारण ही -राजुल

जीवन यात्रा में बहुत कुछ अकारण होते,रचते रहना चाहिए। वृत्ताकार और यंत्रवत जीवन जीने से मर सा जाता है आदमी और निष्प्राण हो जाती है उसके अंदर की आदमियत…

स्त्री शक्ति प्रतिमूर्ति – साधना मिश्रा

दुर्गा का निरूपण सिंह पर सवार एक देवी के रूप में की जाती है। दुर्गा देवी आठ भुजाओं से युक्त हैं जिन सभी में कोई न कोई शस्त्रास्त्र होते है। उन्होने महिषासुर नामक असुर का वध किया। महिषासुर (भैंसा जैसा असुर) करतीं हैं। हिन्दू ग्रन्थों में वे शिव की पत्नी दुर्गा के रूप में वर्णित … Read more

मेरे आँगन में आई नन्हीं चिड़िया

नन्ही सी चिड़िया कितनी मेहनत से घोसला बनती है बिना किसी स्वार्थ के एक दिन सभी बच्चे छोड़ जाते है और उड़ जाते है खुले आसमान में . हमें कुछ सिख मिलती है इस से ..