संयुक्त राष्ट्र संघ दिवस पर कविता

संयुक्त राष्ट्र संघ दिवस पर कविता

संयुक्त राष्ट्र संघ दिवस पर कविता जन्म जनवरी दस को इक दिन,राष्ट्र संघ बन जाता है।शांति राह में चलने को ही,अपना कदम बढाता है।। विश्वयुद्ध भड़काने वाले,लालच रख कर डोले थे।साम्राज्य बढ़ाने उत्साहित,दुनिया से भी बोले थे।। गुप्त संधि करके रखते थे,झगड़े खूब बढ़ाने को।मित्र राष्ट्र सब के सब साथी,लड़ने और लड़ाने को।। विश्वयुद्ध दुनिया … Read more

मोर दंता ओ शिरी – तोषण चुरेन्द्र

मोर दंता ओ शिरी – तोषण चुरेन्द्र मोर दंता ओ शिरी… आरती तोर उतारँवगंगा के पानी धरके ओ दाई तोर चरन ला पखारँवमोर दंता ओ शिरी….. दंतेवाड़ा मा बइठे ओ दाई दंताशिरी सुहायेबड़ सिधवा हम तोरे लइका महतारी तिही कहायेनरिहर बंदन फूल दसमत संग तुहिला मँयहा मनावँवमोर दंता ओ शिरी…… महिमा तोरे बरनी न जाये … Read more

किसान पर कविता

किसान खेत जोतते हुए

किसान पर कविता खेती किसानी पर कविता नांगर बइला पागा खुमरी संगहावय हमरो मितानीहोवत बिहनिया सूरूज जोत संगकरथंन खेती किसानी धरती दाई के सेवा बजाथंवचरण मा मांथ नवावंवरुख राई मोर डोंगरी पहाड़ीबनके मँय इतरावंवकलकल छलकत गंगा जइसनधार हे अरपा के पानीहोवत बिहनिया सूरूज जोत संगकरथंन खेती किसानी हरियर हरियर खेती अउ डोलीलहर लहर लहरावयपड़की परेवना … Read more

मालविका अरुण की कवितायेँ

मालविका अरुण की कवितायेँ गुरु की महिमा गुरु प्राचीन हैं पर विकास हैंगुरु चेतना हैं, प्रकाश हैंएक महान पद्धति का प्रमाणगुरु, भारतीय संस्कृति का मान हैं। गुरु श्रम हैं, प्रोत्साहन हैंगुरु तप हैं, गुरु त्याग हैंगुरु निष्ठा हैं, विश्वास हैंगुरु हर चेष्टा का परिणाम हैं। गुरु जिज्ञासा हैं, ज्ञान हैंगुरु अनुभव हैं, आदेश हैंगुरु कल्याण, … Read more

शिव – मनहरण घनाक्षरी

शिव – मनहरण घनाक्षरी उमा कंत शिव भोले, डमरू की तान डोले, भंग संग  भस्म धारी, नाग कंठ हार है। शीश जटा चंद्रछवि, लेख रचे ब्रह्म कवि, गंग का विहार शीश, पुण्य प्राण धार है। नील कंठ  महादेव, शिव शिवा एकमेव, शुभ्र वेष  मृग छाल, शैल ही विहार है। किए काम नाश देह, सृष्टि सार  … Read more