जन्माष्टमी पर दोहे -मदन सिंह शेखावत

goverdhan shri krishna

जन्माष्टमी पर दोहे भादौ मास अष्ठम तिथि , प्रकटे कृष्ण मुरार।प्रहरी सब अचेत हुए , जेल गये खुल द्वार।।1 जमुना जी उफान करे, पैर छुआ कर शान्त।वासुदेव धर टोकरी , नन्द राज के कान्त।।2 कंस बङा व्याकुल हुआ,ढूढे अष्ठम बाल।नगर गांव सब ढूंढकर ,मारे अनेक लाल।।3 मधुर मुरलिया जब बजी,रीझ गये सब ग्वाल।नट नागर नटखट … Read more

हो नहीं सकती – बाबुराम सिंह

हो नहीं सकती शुचिता सच्चाई से बड़ा कोई तप नहीं दूजा,सत्संग बिना मन की सफाई हो नहीं सकती। नर जीवन जबतक पुरा निःस्वार्थ नहीं बनता,तबतक सही किसीकी भलाई हो नहीं सकती। अन्दर से जाग भाग सदा पाप दुराचार से,सदज्ञान बिन पुण्यकी कमाई हो नहीं सकती। काम -कौल में फँसकर ना कृपण बनो कभी,सदा दान बिन … Read more

सर्द हवाएँ – सुकमोती चौहान रुचि

सर्द हवाएँ – सुकमोती चौहान रुचि सर्द हवाएँ हृदय समाये, तन मन महका जाये |आ कानों में कुछ कहती है, मधुरिम भाव जगाये | हमको तुम कल शाम मिले थे, पसरी थी खामोशी |भाव अनेकों उमड़ पड़े थे, लब पर थी मदहोशी ||शांत सुखद मौसम लगता है, मन ये शोर मचाये |सर्द हवाएँ हृदय समाये, … Read more

कुम्हार को समर्पित कविता -निहाल सिंह

कुम्हार को समर्पित कविता -निहाल सिंह फूस की झोपड़ी तले बैठकर।चाक को घुमाता है वो दिनभर। खुदरे हुए हाथों से गुंदकेमाटी के वो बनाता है मटकेतड़के कलेवा करने के बादलगा रहता है वो फिर दिन- रातस्वयं धूॅंप में नित प्रति दिन जलकरचाक को घुमाता है वो दिनभर | ऑंखों की ज्योति धुॅंधली पड़ गईचश्मे की … Read more

हलषष्ठी पर हिंदी कविता – नीरामणी श्रीवास नियति

हलषष्ठी पर हिंदी कविता आयी हलषष्ठी शुभम , माँ का यह व्रत खास ।अपने बच्चों के लिए , रखती है उपवास ।।रखती है उपवास , करे सगरी की पूजा ।बिना चले हल भोज्य , नहीं करते है दूजा ।।नियति कहे कर जोड़ , हृदय व्रत कर हर्षायी ।कथा सुनेंगे आज , मातु हल षष्ठी आयी … Read more