आगे देवारी तिहार -छत्तीसगढ़ी कविता
तिहार आगे ग , तिहार आगे जी,
लिपे पोते छाभे मूंदे के ,तिहार आगे।
मन म खुशी अमागे ग,
मन म खुशी अमागे जी।
जुरमिल के दिया बारे के,
तिहार आगे ।
घर -घर गांव शहर,
पोतई बूता चलत हे।
दाई माई दीदीमन,
छभई मुंदई करत हे।
गांव -गांव ,गली-गली,
अंजोर बगरत हे।
जगमग जगमग ,
दियना बरत हे।
जीवन म सबके ,उजियार आगे जी,
लिपे पोते छाभे मूंदे के ,तिहार आगे।।
घर अंगना म दिया,
ख़ुशी के जलत हे।
प्रेम अउ मया के ,
झरना झरत हे।
लक्ष्मी मइया के ,
अशीष बरसत हे।
सुख अउ शांति ,
घर म उपजत हे।
घर-घर ख़ुशी के बहार ,आगे जी
अंधियारी दानव ल भगाय बर,
अंजोरी तिहार आगे जी।।
लिपे पोते छाभे मूंदे के ,तिहार आगे।।
लड़ई झगरा अउ,
बैर ल भुलाय के।
एके जगह रहिके,
सुख-दुख ल गोठियाय के।
पारा परोस म ,
सुख बगराय के।
मया पिरित के ,
दियना ल जलाय के।
तिहार आगे जी ,तिहार आगे ।
एकमई होके दिया बारे के,
तिहार आगे।
लिपे पोते छाभे मूंदे के ,तिहार आगे ।
तिहार आगे…….
(त्यौहार अथवा पर्व, हमे प्रेम और एकता का संदेश देती है।)
🪔रचनाकार🪔
महदीप जंघेल
ग्राम-खमतराई,
वि.खँ.-खैरागढ़
जिला- राजनांदगांव(छ.ग)
बहुत बढ़िया
धन्यवाद महोदय