आओ मिल प्रण करें हम- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

आओ मिल प्रण करें हम
नवजीवन मस्तक धरें हम

करें पुष्पित संस्कृति
करें मुखरित संस्कार
आओ मिल प्रण करें हम

कर्म से हम धनी हों
भाग्य निर्माण करें हम
आँधियों से न दरें हम
नव आदर्श निर्मित करें हम

आओ मिल प्रण करें हम
कलह से हों परे हम
कर्मशील धर्मशील बनाएँ हम
स्वतन्त्र मौलिक विचार धरें हम

सदाचारी सत्संग वरें हम
आओ मिल प्रण करें हम
सर्वोत्तम कृति बनें हम

पुण्यशील आत्मा कहैं सब
सत्कीर्ति सत्यनिष्ठा मार्ग हो
कार्यसाधक स्वाभिमानी बनें हम
आओ मिल प्रण करें हम

सूरजमुखी सा दमकैं हर पल
सूर्य सा चमकें हर क्षण
सुव्यवहार सुशील सुशिक्षित
अनमोल जीवन बनें हम

आओ मिल प्रण करें हम
आओ मिल प्रण करें हम
आओ मिल प्रण करें हम

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