आती हर पल याद

कहाँ गए हो छोड़कर,आती हर पल याद।
घर का हर कोना हुआ,यादों से आबाद।

चीख रहा है बैठका,रोती चौकी रिक्त।
टिकी छड़ी दीवार से,देख नैन हों सिक्त।
बेल वेदना उर बढ़े,मिले विरह की खाद।
कहां गए हो छोड़कर,आती हर पल याद।।

सदा बड़ों को मान दो,अरु छोटों को प्यार।
जीवन में हो सादगी,ऊँँचे रखो विचार।
यही सिखाया आपने,समय न कर बर्बाद।
कहां गए हो छोड़कर,आती हर पल याद।।

धूल किताबें फाँकतीं,अलमारी में मौन।
तितर-बितर टेबल पड़ा,उसे सजाए कौन।
तुम बिन दिखती गाय की,तबीयत है नाशाद।
कहां गए हो छोड़कर,आती हर पल याद।।

पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’
असिस्टेंट प्रोफेसर

(हिंदी विभाग,जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट,उत्तर प्रदेश)
मोबाइल नंबर-8604112963


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